संसद में ओवैसी का तीखा बाउंसर: मेरा ज़मीर गवारा नहीं करता भारत-पाक मैच देखना
नई दिल्ली: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर अपने बयानों से राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। हाल ही में संसद में 'ऑपरेशन सिंदूर' और पहलगाम आतंकी हमले पर हो रही बहस के दौरान, ओवैसी ने भारत और पाकिस्तान के बीच प्रस्तावित क्रिकेट मैच को लेकर सरकार पर जोरदार निशाना साधा। उन्होंने कहा कि उनका ज़मीर उन्हें इस मैच को देखने की इजाज़त नहीं देता।
खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते - ओवैसी का सरकार पर वार
पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले, जिसमें कई निर्दोषों की जान चली गई थी, का ज़िक्र करते हुए ओवैसी ने सरकार की नीति पर सवाल उठाया। उन्होंने पूछा कि जब भारत ने पाकिस्तान के साथ व्यापार, हवाई संपर्क और अन्य राजनयिक संबंध लगभग बंद कर दिए हैं, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह चुके हैं कि "खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते," तो फिर ऐसे माहौल में क्रिकेट मैच खेलना किस तरह जायज़ है? उन्होंने तीखे शब्दों में कहा कि जिस मुल्क के आतंकी भारत के नागरिकों को मारते हैं, उसके साथ खेल भावना के नाम पर आगे बढ़ना उन्हें स्वीकार्य नहीं है।
ओवैसी ने यह भी पूछा कि क्या सरकार में हिम्मत है कि वे पहलगाम में मारे गए लोगों के परिवारों से कहें कि उन्होंने आतंकवाद का बदला ले लिया है और अब जाकर पाकिस्तान का मैच देखें। उन्होंने सरकार की "संवेदनहीनता" पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब व्यापारिक रिश्ते और पानी का बंटवारा तक प्रभावित हो, तो खेल कैसे अछूता रह सकता है।
राजनीतिक बयानबाजी और राष्ट्रवाद का मुद्दा
असदुद्दीन ओवैसी के इस बयान ने जहाँ एक ओर उनके समर्थकों की सराहना पाई है, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग इसे एक विशेष राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा बता रहे हैं। ऐसे संवेदनशील मौकों पर भारत-पाक संबंधों और राष्ट्रवाद पर चर्चाएँ अक्सर गरम हो जाती हैं, और ओवैसी इन बहसों में हमेशा अपनी एक मुखर आवाज़ उठाते रहे हैं। इस बार भी, क्रिकेट मैच पर उनका यह 'ज़मीर' वाला बयान संसद की गरमागरम बहस में एक "बाउंसर" की तरह आया है, जिसने देश की भावनात्मक और राष्ट्रीय भावना के बीच चल रही बहस को और गहरा दिया है।
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