Russia NATO Tension : अस्पतालों को जंग के लिए तैयार रहने का आदेश, क्या तीसरे विश्व युद्ध की तैयारी कर रहा है यूरोप?
News India Live, Digital Desk: Russia NATO Tension : पिछले कुछ समय से दुनिया भर में जो माहौल बना हुआ है, वो किसी से छिपा नहीं है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से ही एक अनजाना सा डर सबके मन में है। लेकिन अब ये डर सिर्फ आशंकाओं तक सीमित नहीं रहा, बल्कि हकीकत की जमीन पर उतरता दिख रहा है। यूरोप के कई देश अब खुलकर जंग की तैयारी में जुट गए हैं। यह तैयारी इतनी गंभीर है कि अस्पतालों को भी "युद्ध के लिए तैयार" रहने का आदेश दिया जा रहा है।
यह कोई फिल्म की कहानी नहीं है, बल्कि आज के यूरोप की सच्चाई है, जो एक बड़े आने वाले खतरे की ओर इशारा कर रही है।
फ्रांस से लेकर बाल्टिक देशों तक, हर तरफ है डर का माहौल
फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन और खासकर बाल्टिक देश (लातविया, लिथुआनिया, एस्टोनिया), जो रूस के पड़ोसी हैं, सबसे ज्यादा चिंता में हैं। इन देशों को डर है कि रूस यूक्रेन के बाद रुकने वाला नहीं है और उसका अगला निशाना वो भी हो सकते हैं। इसी डर के चलते ये देश अपनी सुरक्षा को लेकर कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते।
क्या-क्या तैयारियां हो रही हैं?
जो खबरें सामने आ रही हैं, वे वाकई चौंकाने वाली हैं।
- अस्पतालों को अलर्ट पर रखा गया है: कई देशों में अस्पतालों को आदेश दिए गए हैं कि वे बड़ी संख्या में घायलों के इलाज के लिए तैयार रहें। उन्हें अपने ब्लड बैंक, दवाइयों का स्टॉक और सर्जिकल सुविधाओं को किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार रखने को कहा गया है। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसा किसी जंग के समय किया जाता है।
- बंकरों और सिविल डिफेंस की तैयारी: कई सालों से बंद पड़े पुराने बंकरों को फिर से साफ करके तैयार किया जा रहा है। आम नागरिकों को आपात स्थिति में खुद को कैसे बचाना है, इसकी ट्रेनिंग दी जा रही है।
- सेनाओं को मजबूत किया जा रहा है: हर देश अपने रक्षा बजट को बढ़ा रहा है। नई मिसाइलें, टैंक और फाइटर जेट खरीदे जा रहे हैं। साथ ही, सेना में सैनिकों की संख्या भी बढ़ाई जा रही है।
आखिर इस डर की वजह क्या है?
इस डर की सबसे बड़ी वजह रूस का आक्रामक रवैया है। यूक्रेन पर हमला करने के बाद से ही यूरोप को यह महसूस होने लगा है कि अब शांति की गारंटी नहीं दी जा सकती। नाटो के पूर्व सैन्य अधिकारियों से लेकर कई रक्षा विशेषज्ञ यह चेतावनी दे चुके हैं कि अगले कुछ सालों में रूस नाटो के किसी सदस्य देश पर हमला कर सकता है।
यह सब देखकर ऐसा लगता है कि यूरोप अब सिर्फ "अगर युद्ध हुआ तो" वाली सोच पर नहीं चल रहा, बल्कि "जब युद्ध होगा तो" की तैयारी कर रहा है। यह दुनिया के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि हमें शांति को हल्के में नहीं लेना चाहिए।
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