सिर्फ किले और महल देखकर लौट आते हैं? असली राजस्थान तो आपने देखा ही नहीं
जब भी राजस्थान का नाम हमारे जहन में आता है, तो आंखों के सामने रेत के सुनहरे टीले, ऊंटों के काफिले, रंग-बिरंगी पगड़ियां और शानदार किलों की तस्वीरें घूमने लगती हैं। इसमें कोई शक नहीं कि राजस्थान का कण-कण इतिहास और वीरता की कहानियां सुनाता है।
लेकिन अगर आप राजस्थान की असली आत्मा को महसूस करना चाहते हैं, उसकी धड़कन को सुनना चाहते हैं, तो सिर्फ इन बेजान दीवारों को देखकर मत लौट आइएगा। इसकी असली रूह तो यहाँ के मेलों, त्योहारों और सांस्कृतिक उत्सवों में बसती है। यह वो समय होता है जब पूरा प्रदेश रंगों, संगीत और परंपराओं के एक जीवंत कैनवास में बदल जाता है।
तो अगली बार जब आप राजस्थान जाने का प्लान बनाएं, तो इन त्योहारों का कैलेंडर देखकर अपनी तारीखें तय करिएगा। यकीन मानिए, आपका अनुभव सौ गुना बेहतर हो जाएगा।
1. पुष्कर मेला: जहां रेत पर सजता है दुनिया का सबसे बड़ा ऊंटों का मेला
- कहां: पुष्कर
- कब: अक्टूबर-नवंबर (कार्तिक पूर्णिमा के आसपास)
कल्पना कीजिए, पवित्र पुष्कर झील के किनारे, हजारों सजे-धजे ऊंट और घोड़े, लाखों लोग, और आस्था का एक अनूठा संगम। यह सिर्फ एक पशु मेला नहीं है, यह संस्कृति का एक महाकुंभ है। यहां आपको मूंछों की प्रतियोगिता से लेकर ऊंटों की दौड़ तक, और राजस्थानी लोक संगीत से लेकर विदेशी फोटोग्राफरों की भीड़ तक, सब कुछ देखने को मिलेगा।
2. जैसलमेर डेजर्ट फेस्टिवल: रेगिस्तान के समंदर में संस्कृति का उत्सव
- कहां: जैसलमेर
- कब: फरवरी
सुनहरे रेत के समंदर के बीच, जब सूरज ढल रहा हो और राजस्थानी लोक-कलाकार अपनी धुन छेड़ते हैं, तो वो नजारा जादुई होता है। डेजर्ट फेस्टिवल जैसलमेर की आत्मा है। यहाँ पगड़ी बांधने की प्रतियोगिता, मिस्टर डेजर्ट का चुनाव, ऊंटों का पोलो मैच और रात में तारों के नीचे सांस्कृतिक कार्यक्रम... यह सब आपको एक अलग ही दुनिया में ले जाएगा।
3. जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (JLF): साहित्य और विचारों का महाकुंभ
- कहां: जयपुर
- कब: जनवरी
अगर आप सोचते हैं कि राजस्थान सिर्फ पुरानी परंपराओं का गढ़ है, तो आपको JLF जरूर देखना चाहिए। यह दुनिया के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित साहित्य उत्सवों में से एक है। यहाँ आपको दुनिया भर के नोबेल पुरस्कार विजेता, लेखक, विचारक और कलाकार एक ही मंच पर मिलते हैं। यह आधुनिक और बौद्धिक राजस्थान का चेहरा है।
4. मारवाड़ उत्सव: जोधपुर के वीरों की याद में
- कहां: जोधपुर
- कब: सितंबर-अक्टूबर (शरद पूर्णिमा के आसपास)
शानदार मेहरानगढ़ किले की पृष्ठभूमि में, यह उत्सव मारवाड़ के वीर योद्धाओं की याद में मनाया जाता है। यह आपको जोधपुर की असली और गहरी लोक-संस्कृति से रूबरू कराता है। यहाँ का संगीत, नृत्य और माहौल आपको उस शाही दौर में वापस ले जाएगा जब वीरता और रोमांस यहाँ की हवाओं में घुले हुए थे।
ये त्योहार सिर्फ घूमने-फिरने का मौका नहीं हैं, ये राजस्थान के उस जीते-जागते दिल को देखने का एक जरिया हैं, जो उसकी हवेलियों और किलों से कहीं ज्यादा खूबसूरत और सच्चा है।
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