यूपी विधानसभा का पहला दिन, शोर शराबे की जगह छाई खामोशी, सुधाकर सिंह की याद में एक हुआ पूरा सदन
News India Live, Digital Desk: आज से उत्तर प्रदेश विधानसभा (UP Vidhan Sabha) का बहुप्रतीक्षित शीतकालीन सत्र शुरू हुआ। अक्सर हम देखते हैं कि सत्र के पहले दिन हंगामा, नारेबाजी और तीखी बहस होती है। लेकिन आज नजारा बिल्कुल अलग था। लखनऊ के विधानसभा भवन में आज सियासत का शोर नहीं, बल्कि एक अजीब सी उदासी और खामोशी छाई रही।
सदन की कार्यवाही शुरू तो हुई, लेकिन तुरंत ही इसे स्थगित (Adjourn) भी कर दिया गया। वजह थी—समाजवादी पार्टी के सीनियर विधायक और घोसी (Ghosi) से जीत का परचम लहराने वाले सुधाकर सिंह (Sudhakar Singh) का निधन।
सियासी दुश्मनी भूली, इंसानियत जीती
जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, पक्ष और विपक्ष के बीच की लकीर मिट गई। क्या बीजेपी और क्या समाजवादी पार्टी, सभी नेताओं के चेहरों पर एक साथी को खोने का गम साफ दिख रहा था।
- सीएम योगी का बड़प्पन: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शोक प्रस्ताव रखा। उन्होंने सुधाकर सिंह को याद करते हुए कहा कि उनका जाना सदन के लिए बड़ी क्षति है। वे एक ज़मीनी नेता थे जो अपने क्षेत्र की आवाज बुलंदी से उठाते थे।
- अखिलेश की भावुकता: नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव के लिए यह व्यक्तिगत झटका था। सुधाकर सिंह वही नेता थे जिन्होंने घोसी उपचुनाव में समाजवादी पार्टी को एक बड़ी और महत्वपूर्ण जीत दिलाई थी। अखिलेश ने भारी मन से अपने साथी को नमन किया।
क्यों खास थे सुधाकर सिंह?
अगर आपको याद हो, तो कुछ समय पहले घोसी उपचुनाव (Ghosi Bypoll) ने पूरे देश का ध्यान खींचा था। उस चुनाव में सुधाकर सिंह ने बीजेपी के दारा सिंह चौहान को हराकर एक तरह से इतिहास रचा था। उन्हें एक जुझारू और सीधा बोलने वाला नेता माना जाता था। सदन के सदस्य के रूप में, उनके निधन पर कार्यवाही को पूरे दिन के लिए स्थगित करना एक संसदीय परंपरा है, जिसका आज पालन किया गया।
कल से फिर शुरू होगा सियासी संग्राम
आज का दिन श्रद्धांजलि और यादों के नाम रहा। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने सभी दलों के नेताओं को बोलने का मौका दिया और फिर सदन को कल (शनिवार) तक के लिए स्थगित कर दिया।
लेकिन, कल से तस्वीर बदल जाएगी। सरकार अनुपूरक बजट (Supplementary Budget) पेश करने वाली है और विपक्ष कई मुद्दों पर सरकार को घेरने के लिए तैयार बैठा है। महाकुंभ की तैयारी हो या कानून व्यवस्था कल से सदन में गरमा-गरम बहस देखने को मिलेगी।
लेकिन आज, यूपी की राजनीति ने यह दिखाया कि मतभेद चाहे कितने भी हों, जीवन और मृत्यु के सत्य के सामने सब एक हैं।
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