Obstacles in the path of Education: प्रशांत किशोर ने दिखाया बिहार के ग्रामीण इलाकों का कड़वा सच
News India Live, Digital Desk: Obstacles in the path of Education: बिहार में जन सुराज पदयात्रा पर निकले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर इन दिनों गाँव-गाँव घूमकर लोगों से सीधा संवाद कर रहे हैं, ताकि उनकी समस्याओं को करीब से समझ सकें। उनकी यह यात्रा अक्सर ऐसे मार्मिक क्षणों से होकर गुजरती है, जब उन्हें आम जनता के, खासकर बच्चों के दर्द को महसूस करने का मौका मिलता है। हाल ही में एक ऐसा ही वीडियो उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साझा किया, जिसने हजारों लोगों की आँखों में पानी ला दिया। यह वीडियो बिहार की विकास और शिक्षा व्यवस्था की एक कड़वी सच्चाई को बयां करता है।
प्रशांत किशोर जब अपनी पदयात्रा के दौरान एक गांव में लोगों से संवाद कर रहे थे, तभी उनकी नजर एक स्कूल यूनिफॉर्म पहनी बच्ची पर पड़ी। इस बच्ची से बातचीत करते हुए उन्होंने उससे स्कूल जाने की परेशानियों के बारे में पूछा। बच्ची ने बेहद मासूमियत और दर्द के साथ अपनी बात बताई। उसने बताया कि सड़क टूटी होने के कारण उसे और उसके साथी छात्राओं को स्कूल तक पहुँचने में बहुत दिक्कत होती है। टूटी हुई सड़कों और पुल के अभाव में उन्हें हर दिन 6 से 7 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाना पड़ता है। उसने अपनी बात को और साफ करते हुए कहा कि, "बहुत दिक्कत होती है अंकल।" इस बात ने प्रशांत किशोर को अंदर तक झकझोर दिया।
उस छोटी सी छात्रा ने अपनी सबसे बड़ी समस्या बताई कि पुल टूटे होने के कारण उन्हें यह लंबी दूरी तय करनी पड़ती है, और इसी कारण उसके कई दोस्त अब स्कूल ही नहीं आते, क्योंकि हर दिन इतनी दूर चलना और मुश्किल परिस्थितियों का सामना करना उनके लिए संभव नहीं हो पाता। उसने बताया कि कभी पुल हुआ करता था, लेकिन वह अब टूट गया है। यह कहानी बिहार की ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था की बदहाली का जीवंत उदाहरण है, जहाँ बुनियादी ढांचे के अभाव में बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे हैं।
यह सब सुनकर प्रशांत किशोर बेहद भावुक हो उठे। उनके आँखों में भी नम दिखाई दिए। उन्होंने बच्ची की पीठ थपथपाई और उससे कुछ और बातें पूछीं। बाद में प्रशांत किशोर ने इस वीडियो को साझा करते हुए अपनी पीड़ा भी व्यक्त की। उन्होंने लिखा, "इन बच्चों की ये परेशानी इस बात का जीता जागता सबूत है कि राज्य की शिक्षा, स्वास्थ्य और बाकी सभी चीज़ों का विकास हो रहा है... ऐसा सिर्फ आंकड़ों और टीवी पर विज्ञापन में होता है।" प्रशांत किशोर ने कहा कि यह सिर्फ़ उस बच्ची का दर्द नहीं, बल्कि पूरे राज्य की ग्रामीण आबादी का दर्द है।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि बच्चों के साथ इस तरह खिलवाड़ करना सही नहीं है। अपने राजनीतिक लक्ष्य पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि हमें 'सरकार की जेब काटनी होगी', यानी भ्रष्ट सिस्टम को जड़ से खत्म करना होगा ताकि विकास का पैसा सही जगह लग सके। उनका यह बयान एक सीधा हमला है उन नेताओं पर जो केवल कागजों पर विकास का दावा करते हैं, जबकि वास्तविकता में गांवों में रहने वाले बच्चों और नागरिकों को बुनियादी सुविधाओं से भी जूझना पड़ता है। इस वीडियो ने बिहार के शिक्षा और आधारभूत ढांचे की चुनौती को एक बार फिर सबके सामने ला दिया है।
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