Nuclear Submarine : हिंद महासागर में परमाणु किला, भारत की पनडुब्बी रणनीति से पाकिस्तान क्यों है परेशान?

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News India Live, Digital Desk: भारत अपनी परमाणु Abschreckung (रोकथाम) की ताकत को हिंद महासागर की गहराइयों में तेज़ी से बढ़ा रहा है, जिसका सीधा मकसद चीन और पाकिस्तान से किसी भी संभावित खतरे को पहले ही बेअसर कर देना है. भारत की इस रणनीति ने पाकिस्तान की नींद उड़ा दी है, जिसे अपनी सुरक्षा पर एक बड़ा खतरा मंडराता दिख रहा है. पाकिस्तानी मीडिया और रक्षा विशेषज्ञ भारत के इस कदम को हिंद महासागर में "परमाणु किला" बनाने की कोशिश के तौर पर देख रहे हैं

आखिर ऐसा क्या है भारत की पनडुब्बी रणनीति में, जिससे इस्लामाबाद इतना बेचैन है? आइए समझते हैं।

'हर समय परमाणु पनडुब्बी तैनात'

भारत अब 'Continuous at Sea Deterrence' (CASD) की रणनीति पर काम कर रहा है इसका सीधा मतलब है कि भारत हर समय अपनी एक परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (SSBN) को समुद्र में गश्त पर तैनात रखेगा. ये पनडुब्बियां परमाणु हथियारों से लैस होती हैं और महीनों तक पानी के नीचे बिना किसी की नजर में आए रह सकती हैं. इस रणनीति का सबसे बड़ा फायदा यह है कि अगर दुश्मन देश भारत पर पहला परमाणु हमला कर भी दे, तो समुद्र में छिपी यह पनडुब्बी जवाबी कार्रवाई करते हुए दुश्मन को पूरी तरह तबाह करने की ताकत रखती है इसी को 'सेकंड स्ट्राइक कैपेबिलिटी' कहते हैं, जो भारत की 'पहले इस्तेमाल नहीं' की नीति के लिए बेहद ज़रूरी है

भारत की ताकतवर पनडुब्बियां

इस रणनीति की रीढ़ हैं भारत की स्वदेशी परमाणु पनडुब्बियां. आईएनएस अरिहंत (INS Arihant) 2016 में और आईएनएस अरिघाट (INS Arighat) 2024 में नौसेना में शामिल होने के बाद से भारत ने इस कार्यक्रम में और तेज़ी ला दी है. ये पनडुब्बियां K-सीरीज़ की बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस हैं इनमें K-15 मिसाइलें (750-1,500 किलोमीटर रेंज) पहले से ही ऑपरेशनल हैं, जबकि K-4 (3,500-4,000 किलोमीटर रेंज) का भी सफल परीक्षण हो चुका है

यही नहीं, भारत अब S-5 क्लास की विशाल पनडुब्बियों पर काम कर रहा है, जो और भी घातक और लंबी दूरी की मिसाइलों को ले जाने में सक्षम होंगी. भारत का लक्ष्य 10 से 12 परमाणु पनडुब्बियां बनाने का है, ताकि चीन और पाकिस्तान से एक साथ मिलने वाली चुनौतियों का सामना किया जा सके

बंगाल की खाड़ी: भारत का रणनीतिक तुरुप का इक्का

पाकिस्तानी रक्षा विद्वान इस्कंदर रहमान मानते हैं कि भूगोल भी इस मामले में भारत का साथ दे रहा है.अरब सागर की तुलना में बंगाल की खाड़ी काफी शांत और गहरी है, जो भारतीय परमाणु पनडुब्बियों को छिपने और बिना किसी रुकावट के ऑपरेट करने के लिए एक आदर्श जगह मुहैया कराती है यहां दुश्मन के लिए उन्हें ट्रैक करना लगभग नामुमकिन हो जाता है.

इसके अलावा, भारत विशाखापत्तनम के पास 'प्रोजेक्ट वर्षा' के तहत एक खुफिया अंडरग्राउंड नौसैनिक अड्डा भी बना रहा है.[1]यह अड्डा भारत की परमाणु पनडुब्बियों को सुरक्षित रखने और उन्हें हर समय हमले के लिए तैयार रखने में मदद करेगा.

पाकिस्तान की चिंता और मजबूरी

भारत की इस तेजी से बढ़ती ताकत ने पाकिस्तान को चिंता में डाल दिया है. पाकिस्तानी विश्लेषकों का मानना है कि इससे क्षेत्र में हथियारों की एक नई होड़ शुरू हो सकती है. हालांकि, पाकिस्तान भी अपनी नौसेना को मजबूत कर रहा है, लेकिन भारत की तुलना में वह अभी भी काफी पीछे है पाकिस्तान चीन की मदद से अपनी पनडुब्बी और एंटी-सबमरीन क्षमताओं को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन भारत का स्वदेशी पनडुब्बी कार्यक्रम उसे रणनीतिक रूप से कहीं ज्यादा मजबूत बनाता है.

भारत का हिंद महासागर में अपनी परमाणु ताकत को इस तरह बढ़ाना यह साफ करता है कि वह अपनी समुद्री सुरक्षा को लेकर कितना गंभीर है. यह न केवल दुश्मनों को एक कड़ा संदेश देता है, बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में भारत को एक बड़ी शक्ति के रूप में भी स्थापित करता है.

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