अब पर्सनल लॉ से नहीं होगा फैसला, झारखंड हाईकोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय, मुस्लिम पुरुषों को बड़ा झटका
News India Live, Digital Desk: भारत में व्यक्तिगत कानून (Personal Laws) और विशेष विवाह अधिनियम (Special Marriage Act - SMA) के बीच की जटिलता पर हमेशा बहस चलती रही है. अब झारखंड उच्च न्यायालय ने इस विषय पर एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिसने देश भर में हलचल मचा दी है. हाईकोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि किसी भी समुदाय का व्यक्तिगत कानून 'विशेष विवाह अधिनियम' पर हावी (override) नहीं हो सकता. इस फैसले को एक बड़ा कदम माना जा रहा है, जिसने विशेषकर मुस्लिम पुरुषों को एक तरह से कानूनी 'झटका' दिया है, क्योंकि यह उन्हें बहुविवाह (polygamy) की संभावना को सीमित करता है.
झारखंड हाईकोर्ट का फैसला क्या है?
झारखंड हाईकोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि:
- SMA की सर्वोच्चता: विशेष विवाह अधिनियम (SMA) एक धर्मनिरपेक्ष कानून है, जो विभिन्न धर्मों के लोगों को या बिना किसी धार्मिक रीति-रिवाज के विवाह करने की अनुमति देता है. न्यायालय ने कहा कि जब दो अलग-अलग धर्मों के व्यक्ति SMA के तहत विवाह करते हैं, तो उनके विवाह को नियंत्रित करने वाला कानून उनका पर्सनल लॉ नहीं, बल्कि SMA होगा.
- पर्सनल लॉ नहीं होगा हावी: न्यायालय ने यह भी कहा कि अगर किसी मुस्लिम पुरुष ने SMA के तहत किसी अन्य धर्म की महिला से शादी की है, तो वह अपने पर्सनल लॉ के तहत दूसरी शादी नहीं कर सकता, भले ही उसका पर्सनल लॉ इसकी इजाजत देता हो. क्योंकि SMA के तहत किए गए विवाह के बाद व्यक्ति पर SMA के नियम ही लागू होंगे, न कि उसके पर्सनल लॉ के बहुविवाह वाले प्रावधान.
- महिलाओं के अधिकारों का संरक्षण: यह फैसला लैंगिक समानता और महिलाओं के अधिकारों के संरक्षण की दिशा में भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह बहुविवाह की प्रथा को सीमित करता है, जिसे कई महिला अधिकार समूहों द्वारा आलोचना का सामना करना पड़ा है.
इस फैसले के क्या निहितार्थ हैं (विशेषकर मुस्लिम पुरुषों के लिए)?
इस्लामिक पर्सनल लॉ (शरिया) एक मुस्लिम पुरुष को एक से अधिक शादी करने की अनुमति देता है, बशर्ते वह न्याय कर सके. लेकिन झारखंड हाईकोर्ट का यह फैसला कहता है कि अगर मुस्लिम पुरुष ने 'विशेष विवाह अधिनियम' के तहत शादी की है, तो वह इस्लाम के इस नियम का फायदा उठाकर दूसरी शादी नहीं कर सकता, क्योंकि अब उस पर SMA के नियम लागू होंगे, जो 'एकल विवाह' (monogamy) का समर्थन करता है. इससे उनके लिए बहुविवाह के रास्ते कानूनी तौर पर बंद हो जाएंगे, यदि उन्होंने SMA के तहत शादी की है.
इस फैसले का व्यापक असर भारत में इंटरफेथ मैरिज (Interfaith Marriage) और व्यक्तिगत कानूनों की व्याख्या पर पड़ेगा. यह स्पष्ट रूप से यह दर्शाता है कि एक विशेष और धर्मनिरपेक्ष कानून के तौर पर विशेष विवाह अधिनियम की अपनी एक महत्वपूर्ण स्थिति है, जिसे किसी भी व्यक्तिगत कानून द्वारा अनदेखा नहीं किया जा सकता. यह देश के विभिन्न कानूनों के बीच सामंजस्य स्थापित करने की दिशा में एक अहम निर्णय है.
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