बिहार में अब नेता भी सुरक्षित नहीं? खगड़िया में दिनदहाड़े बीजेपी नेता को सीने में मारी गोली, हालत बेहद नाजुक
News India Live, Digital Desk : बिहार में इन दिनों अपराधियों के हौसले किस कदर बुलंद हैं, इसकी बानगी आज फिर देखने को मिली है। अभी लोग सुबह की चाय पीकर काम पर निकले ही थे कि खगड़िया (Khagaria) जिले से आई एक खबर ने पूरे बिहार को हिला कर रख दिया। यहाँ दिन के उजाले में, बीच बाज़ार एक बीजेपी नेता (BJP Leader) को अपराधियों ने निशाना बनाया है।
घटना इतनी भयानक थी कि जिसने भी सुना, उसके रोंगटे खड़े हो गए। बेखौफ बदमाशों ने नेता को घेरकर सीधे उनके सीने में गोली (Shot in chest) उतार दी।
सरेआम वारदात से दहला इलाका
यह पूरी घटना मुफस्सिल थाना क्षेत्र की है। बताया जा रहा है कि बीजेपी के किसान मोर्चा से जुड़े नेता जितेंद्र तिवारी (या स्थानीय नाम) अपने किसी काम से कहीं जा रहे थे या वहां मौजूद थे। अपराधी पहले से घात लगाए बैठे थे। उन्हें न पुलिस का डर था, न वहां मौजूद लोगों का। मौका मिलते ही उन्होंने फायरिंग शुरू कर दी।
गोली सीधे उनके सीने में जा लगी और वो वहीं खून से लथपथ होकर गिर पड़े। गोलियों की आवाज़ सुनकर आसपास भगदड़ मच गई। लोग समझ ही नहीं पाए कि पल भर में यह क्या हो गया।
जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष
आन-फानन में स्थानीय लोग और समर्थक उन्हें लेकर सदर अस्पताल (Sadar Hospital) भागे। वहाँ डॉक्टरों ने उनकी हालत को बेहद नाजुक (Critical) बताया है। सीने में गोली लगने की वजह से खून काफी बह गया था। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए उन्हें बेहतर इलाज के लिए 'हायर सेंटर' (अक्सर पटना या भागलपुर) रेफर करने की बात कही जा रही है।
परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। वे बस यही दुआ कर रहे हैं कि किसी तरह उनकी जान बच जाए।
पुलिस के हाथ अब तक खाली
घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची। जैसा कि हर बार होता है, पुलिस ने घटनास्थल का मुआयना किया और "जल्द गिरफ्तारी" का भरोसा दिलाया। एसपी (SP) और डीएसपी मौके पर पहुंच गए हैं। शहर में नाकेबंदी कर दी गई है और छापेमारी (Raids) जारी है।
लेकिन सवाल वही है—आखिर अपराधी इतने बेखौफ क्यों हैं? उन्हें हथियार लेकर दिनदहाड़े घूमने की हिम्मत कौन दे रहा है?
सियासी पारा चढ़ा
इस घटना के बाद से खगड़िया में तनाव का माहौल है। बीजेपी कार्यकर्ताओं में भारी गुस्सा है। उनका कहना है कि बिहार में अब आम आदमी तो दूर, राजनेता भी सुरक्षित नहीं बचे हैं। क्या इसे ही सुशासन कहते हैं?
फिलहाल, पूरा ध्यान घायल नेता के इलाज पर है, लेकिन यह घटना बिहार सरकार और पुलिस प्रशासन के माथे पर एक बड़ा कलंक लगा गई है।
--Advertisement--