Nisar-ul-Hassan : आतंक की यूनिवर्सिटी? J&K का देशद्रोही डॉक्टर, दिल्ली का हमलावर, दोनों थे एक ही जगह प्रोफेसर
News India Live, Digital Desk: दिल्ली में हुए धमाके की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, एक के बाद एक ऐसे नाम सामने आ रहे हैं जो इस साजिश के बेहद खतरनाक और पढ़े-लिखे चेहरे को उजागर कर रहे हैं. पहले डॉक्टर उमर-उन-नबी और अब एक और नाम, जिसने सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े कर दिए हैं - डॉक्टर निसार-उल-हसन.
लेकिन डॉक्टर निसार की कहानी सिर्फ एक संदिग्ध की कहानी नहीं है, यह हमारे सिस्टम पर भी कई गंभीर सवाल खड़े करती है.
कौन है डॉक्टर निसार-उल-हसन?
डॉक्टर निसार-उल-हसन कश्मीर का एक जाना-माना डॉक्टर है, लेकिन उसकी असली पहचान इससे कहीं ज्यादा गहरी और विवादित है. वह डॉक्टर्स एसोसिएशन कश्मीर (DAK) का अध्यक्ष था. सुनने में यह एक सम्मानित पद लगता है, लेकिन जम्मू-कश्मीर सरकार की खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, डॉक्टर निसार इस पद का इस्तेमाल डॉक्टरों को भड़काने और कश्मीर में अलगाववादी विचारधारा को फैलाने के लिए कर रहा था.
जब सरकार ने नौकरी से निकाला
यह मामला इतना गंभीर था कि जम्मू-कश्मीर सरकार की CID ने अपनी एक रिपोर्ट में साफ-साफ लिखा था कि डॉक्टर निसार की गतिविधियां देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं और उसके संबंध आतंकी संगठनों से हो सकते हैं. इसी रिपोर्ट के आधार पर, J&K सरकार ने उसे सरकारी नौकरी से बर्खास्त कर दिया था. यानी एक राज्य की सरकार ने उसे 'देशद्रोही' गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में बाहर का रास्ता दिखा दिया था.
सिस्टम का सबसे बड़ा झोल!
अब कहानी का सबसे हैरान करने वाला हिस्सा आता है. जिस व्यक्ति को एक राज्य की सरकार देश की सुरक्षा के लिए खतरा मानकर नौकरी से निकालती है, उसे दिल्ली से सटी फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में बाइज्जत प्रोफेसर की नौकरी पर रख लिया जाता है.
यह सोचना भी डरावना है कि एक ऐसा व्यक्ति, जिस पर युवाओं को भड़काने और अलगाववाद फैलाने के गंभीर आरोप हों, उसे यूनिवर्सिटी में छात्रों को पढ़ाने का जिम्मा दे दिया गया.
और हैरानी यहीं खत्म नहीं होती. यह वही अल-फलाह यूनिवर्सिटी है, जहाँ दिल्ली ब्लास्ट का मुख्य संदिग्ध और आत्मघाती हमलावर माना जाने वाला डॉक्टर उमर-उन-नबी भी प्रोफेसर था.
दिल्ली ब्लास्ट के बाद से फरार
सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली में धमाका होने के बाद से डॉक्टर निसार-उल-हसन भी गायब है. सुरक्षा एजेंसियां अब उसकी सरगर्मी से तलाश कर रही हैं. यह जांच की जा रही है कि क्या डॉक्टर उमर और डॉक्टर निसार के बीच कोई कनेक्शन था? क्या फरीदाबाद की यह यूनिवर्सिटी आतंक की कोई नई 'नर्सरी' बन रही थी, जहाँ पढ़े-लिखे चेहरों को आतंक की ट्रेनिंग दी जा रही थी?
यह घटना एक बहुत बड़ी और खतरनाक साजिश की ओर इशारा कर रही है, जहाँ आतंक का नेटवर्क अब जंगलों से निकलकर हमारे एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन्स तक पहुंचने की कोशिश कर रहा है.
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