महाराष्ट्र NDA में नया बवाल ,शुद्धिकरण पर भड़की शिवसेना और NCP, बीजेपी को दी सीधी चेतावनी

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 News India Live, Digital Desk: महाराष्ट्र की एनडीए सरकार में एक बार फिर से सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. अभी सीट बंटवारे और मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर खींचतान खत्म भी नहीं हुई थी कि एक 'शुद्धिकरण' समारोह ने गठबंधन के भीतर एक नया और गंभीर विवाद खड़ा कर दिया है. बीजेपी विधायक के एक कदम से शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित पवार गुट) इतने नाराज़ हो गए हैं कि उन्होंने अपनी ही सहयोगी पार्टी बीजेपी को खुले तौर पर चेतावनी दे डाली है.

क्या है ये 'शुद्धिकरण' का पूरा मामला?

इस पूरे विवाद की जड़ में बीजेपी के विधायक नितेश राणे हैं. दरअसल, कुछ दिन पहले मराठा आरक्षण के प्रबल समर्थक मनोज जरांगे पाटिल ने सिंधुदुर्ग में एक रैली की थी. इस रैली के बाद, नितेश राणे ने उस जगह का 'गोमूत्र' से शुद्धिकरण करवाया, जहां मनोज जरांगे ने सभा को संबोधित किया था. नितेश राणे का तर्क था कि जरांगे पाटिल ने अपनी भाषा से उस धरती को 'अशुद्ध' कर दिया था.

क्यों भड़क गए सहयोगी दल?

बीजेपी विधायक के इस 'शुद्धिकरण' वाले कदम ने आग में घी डालने का काम किया. शिवसेना और एनसीपी, दोनों ही पार्टियों का मानना है कि मनोज जरांगे पाटिल पूरे मराठा समुदाय की आवाज़ हैं और उनका इस तरह का अपमान पूरे समाज का अपमान है. मराठा समुदाय महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा और प्रभावशाली वोट बैंक है, और कोई भी पार्टी उसे नाराज़ करने का जोखिम नहीं उठा सकती.

NCP और शिवसेना ने दी खुली चेतावनी

एनसीपी (अजित पवार गुट) के प्रवक्ता उमेश पाटिल ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, "बीजेपी को अपने नेताओं पर लगाम लगानी चाहिए. अगर इस तरह के बयान और हरकतें जारी रहीं, तो गठबंधन को भारी नुकसान होगा. मनोज जरांगे का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा."

वहीं, शिवसेना (शिंदे गुट) के विधायक संजय गायकवाड़ ने भी बीजेपी को चेतावनी देते हुए कहा, "हम सब एक गठबंधन में हैं और यह सरकार सबकी सहमति से चल रही है. किसी एक नेता को यह अधिकार नहीं है कि वह गठबंधन धर्म को ताक पर रखकर समाज में दरार डालने वाले काम करे. बीजेपी को ऐसे नेताओं को समझाना होगा, वरना इसका खामियाजा सबको भुगतना पड़ेगा."

क्या गठबंधन में पड़ रही है दरार?

यह कोई पहला मौका नहीं है, जब महाराष्ट्र एनडीए में आंतरिक कलह खुलकर सामने आई हो. मराठा आरक्षण का मुद्दा पहले से ही सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है. अब इस 'शुद्धिकरण' विवाद ने सहयोगियों के बीच के अविश्वास को और भी गहरा कर दिया है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर बीजेपी ने इस मामले को जल्दी नहीं संभाला, तो आने वाले चुनावों में इस दरार का खामियाजा पूरे एनडीए गठबंधन को भुगतना पड़ सकता है.

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