New Labour Policy: मोदी सरकार की नई श्रम नीति तीन चरणों में लागू होगी, महिलाओं और युवाओं को मिलेंगे बड़े अवसर और सुरक्षा

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नई श्रम नीति: मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार एक नई श्रम नीति तैयार कर रही है, जो देश के श्रमिकों के लिए बड़े बदलाव लाएगी। इस नीति का मुख्य उद्देश्य देश में एक निष्पक्ष और समावेशी श्रम प्रणाली बनाना है, जो भविष्य की ज़रूरतों के अनुरूप हो। महिलाओं और युवाओं को सशक्त बनाने और उन्हें अधिक अवसर प्रदान करके उनके कार्यबल को बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने श्रमिक शक्ति नीति 2025 के नाम से इस नीति का मसौदा तैयार किया है। इसमें श्रमिकों को सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने और उनकी व्यावसायिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य की रक्षा पर ज़ोर दिया गया है। मंत्रालय एक नियोक्ता के रूप में कार्य करेगा और श्रमिकों, प्रशिक्षण संस्थानों और नियोक्ताओं के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करेगा।

इस नीति को तीन चरणों में लागू करने की योजना है। पहला चरण, जो वित्त वर्ष 2027 तक पूरा हो जाएगा, संस्थागत व्यवस्थाओं और सामाजिक सुरक्षा के एकीकरण पर केंद्रित होगा। दूसरे चरण में, 2027 से 2030 के बीच, देश भर में सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा खाते, जिला-स्तरीय रोज़गार सुविधा प्रकोष्ठ और कौशल ऋण प्रणाली लागू की जाएगी। तीसरे चरण में सभी पहलों को एकीकृत करके एक संपूर्ण प्रणाली तैयार की जाएगी।

इस नीति के कार्यान्वयन हेतु श्रम मंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय श्रम रोजगार नीति कार्यान्वयन परिषद (एनएलईपीआईसी) नामक एक अंतर-मंत्रालयी परिषद का गठन किया जाएगा। यह परिषद सभी चरणों के लक्ष्यों और समय-सीमा के अनुसार प्रगति की निगरानी करेगी।

इस नीति में कई प्रमुख उपाय शामिल हैं, जैसे एक सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा खाता बनाना और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ), कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी), प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई), ई-श्रम और राज्य कल्याण बोर्डों के अंतर्गत मिलने वाले लाभों को एक ही प्रणाली में समाहित करना। इसके अलावा, राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजना, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना और कौशल्य भारत जैसी योजनाओं को एक ही कौशल-रोज़गार योजना में एकीकृत किया जाएगा।

सरकार पर्यावरण-अनुकूल रोज़गार बढ़ाने के लिए हरित रोज़गार को भी बढ़ावा देगी। इसके लिए स्व-प्रमाणन और सरलीकृत एमएसएमई रिटर्न के साथ एकल-खिड़की डिजिटल अनुपालन प्रणाली विकसित की जाएगी। इसके अलावा, पारदर्शी निगरानी के लिए एक एकीकृत राष्ट्रीय श्रम डेटा ढाँचा तैयार किया जाएगा, जिससे अंतर-मंत्रालयी एकरूपता सुनिश्चित होगी।

डिजिटलीकरण और हरित परिवर्तन के कारण भारत का श्रम बाजार बड़े बदलावों से गुज़र रहा है। इसे ध्यान में रखते हुए, सरकार सामाजिक सुरक्षा, कौशल विकास, व्यावसायिक सुरक्षा और प्रौद्योगिकी-आधारित शासन को मिलाकर एक मज़बूत व्यवस्था बनाना चाहती है। इसके लिए, राष्ट्रीय करियर सेवा पोर्टल को एक डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के रूप में विकसित किया जाएगा, जो नौकरी मिलान, प्रमाणपत्र सत्यापन और कौशल संरेखण में मदद करेगा।

मंत्रालय ने इस मसौदा नीति पर टिप्पणियाँ और प्रतिक्रियाएँ माँगी हैं ताकि इसे अंतिम रूप देकर कैबिनेट की मंज़ूरी के लिए भेजा जा सके। इस नीति के लागू होने से देश के श्रमिकों को ज़्यादा सुरक्षित और अवसरों से भरपूर भविष्य मिल सकेगा।

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