नया इनकम टैक्स बिल 2025: 11 अगस्त को पेश होगा सरल'टैक्स का नया चेहरा, जानिए छोटे व्यवसायों और आम करदाताओं को कैसे मिलेंगे छूट जैसे बड़े फायदे
नई दिल्ली: भारत की कर प्रणाली में एक ऐतिहासिक बदलाव होने जा रहा है। केंद्रीय सरकार ने 13 फरवरी 2025 को लोकसभा में पेश किए गए इनकम टैक्स बिल 2025 को वापस ले लिया है। इसके स्थान पर, 11 अगस्त 2025 को संसद में संशोधित और सरलीकृत विधेयक प्रस्तुत किया जाएगा, जो देश के दशकों पुराने आयकर अधिनियम 1961 का स्थान लेगा। यह कदम, भाजपा सांसद बजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति की 285 से अधिक सिफारिशों को ध्यान में रखकर उठाया गया है।
इस नए विधेयक का मुख्य उद्देश्य कर व्यवस्था को लगभग 50% तक सरल बनाना है, जिससे आम करदाताओं, छोटे व्यापारियों, एमएसएमई (MSMEs) और सभी व्यक्तिगत करदाताओं को काफी राहत मिले। पुराने कानून, जिसमें 4000 से अधिक संशोधन और 5 लाख से अधिक शब्द थे, की जटिलताओं को दूर कर एक पारदर्शी, समझने में आसान और डिजिटल युग के अनुरूप कर ढांचा तैयार किया जा रहा है।
आम करदाताओं को कैसे मिलेंगी छूट जैसी सुविधाएँ?
हालांकि, नए बिल में टैक्स की दरें और स्लैब अपरिवर्तित रहेंगे, लेकिन सरकार द्वारा लाए जा रहे इन बदलावों को कई मायनों में करदाताओं के लिए 'छूट' या बड़ी राहत के रूप में देखा जा सकता है:
टैक्स रिफंड में बड़ी सहूलियत: एक महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि अब आयकर रिटर्न (ITR) देर से फाइल करने पर भी करदाताओं को रिफंड मिल सकेगा, वह भी बिना किसी जुर्माने के। पहले, समय सीमा के बाद ITR फाइल करने वालों को रिफंड से वंचित रखा जाता था।
धार्मिक ट्रस्टों को अज्ञात दान पर कर छूट: पूरी तरह से धार्मिक ट्रस्टों द्वारा प्राप्त अज्ञात दान (Anonymous Donations) पर कोई कर नहीं लगेगा। हालांकि, जो ट्रस्ट धार्मिक गतिविधियों के साथ-साथ अस्पतालों या स्कूलों जैसे सामाजिक सेवाओं का संचालन करते हैं, उन्हें यह छूट नहीं मिलेगी।
MSMEs के लिए नियमों का सरलीकरण: माइक्रो और स्मॉल एंटरप्राइजेज (MSMEs) की परिभाषाओं को MSME अधिनियम के साथ संरेखित किया जाएगा, जिससे इन छोटे व्यवसायों के लिए अनुपालन (Compliance) और कर प्रक्रियाएं सरल होंगी
कर निर्धारण में अधिक पारदर्शिता: नए बिल में कर अधिकारियों को नोटिस देने और करदाताओं की प्रतिक्रिया पर विचार करने के बाद ही कार्रवाई करने का अधिकार होगा। यह प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाएगा और मनमानी कार्रवाई की संभावना को कम करेगा।
Nil TDS सर्टिफिकेट की आसानी: करदाताओं के लिए 'Nil' टीडीएस (Tax Deducted at Source) सर्टिफिकेट प्राप्त करना अधिक सुगम बनाने के उपाय प्रस्तावित हैं।
हाउस लोन इंटरेस्ट पर संभावित छूट: समिति ने किराए की संपत्तियों पर भी होम लोन ब्याज कटौती का लाभ विस्तारित करने का सुझाव दिया है, जो वर्तमान में केवल स्वयं-अधिकृत (Self-occupied) संपत्तियों के लिए उपलब्ध है।
कंपनियों के लिए डिविडेंड पर कर छूट: कंपनियों के बीच अंतर्-कॉर्पोरेट लाभांश (Inter-corporate dividends) पर कर छूट का प्रस्ताव भी है, जो वित्तीय लेन-देन को आसान बना सकता है।
लिटिगेशन में कमी: कुल मिलाकर, कर कानूनों को सरल बनाने, जटिलताओं को दूर करने और स्पष्टता लाने के प्रयासों से कानूनी विवादों और लिटिगेशन में कमी आएगी, जो करदाताओं के समय और संसाधनों की बचत के रूप में एक महत्वपूर्ण 'लाभ' है।
सरकार का लक्ष्य है कि यह नया और सरल आयकर कानून देश भर के कार्यशील और मध्यम वर्ग पर कोई अतिरिक्त प्रत्यक्ष कर का बोझ न डाले, बल्कि उन्हें एक निष्पक्ष और सुलभ कर प्रणाली का अनुभव प्रदान करे। 11 अगस्त को पेश होने वाले इस संशोधित विधेयक से करदाताओं के लिए फाइलिंग प्रक्रिया को आसान बनाने और एक 'डिजिटल-फर्स्ट' कर प्रक्रिया को बढ़ावा देने की उम्मीद है।
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