New deadline for ITR filing:15 सितंबर तक राहत, पर अनदेखी पड़ सकती है भारी, जानिए क्यों?
नई दिल्ली: वित्त वर्ष 2024-25 (असेसमेंट ईयर 2025-26) के लिए आयकर रिटर्न (ITR) फाइल करने की अंतिम तिथि को 31 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 कर दिया गया है। यह निश्चित रूप से करदाताओं के लिए एक बड़ी राहत है, खासकर उन लोगों के लिए जो ITR फॉर्म में हुए ढांचागत बदलावों, जैसे कैपिटल गेन टैक्स और नए टैक्स स्लैब सिस्टम में हुए परिवर्तनों के कारण रिटर्न फाइल करने में विलंब कर रहे थे। हालांकि, इस बढ़ी हुई तारीख का मतलब यह कतई नहीं है कि आप बेफिक्र हो जाएं। इनकम टैक्स विभाग द्वारा दी गई इस मोहलत के बाद भी यदि आप समय पर ITR फाइल नहीं करते हैं, तो आपको भारी पेनल्टी, टैक्स लाभों के नुकसान और गंभीर मामलों में कानूनी कार्रवाई का सामना भी करना पड़ सकता है।
लापरवाही पड़ सकती है भारी: समझें ₹5000 के जुर्माने से लेकर जेल जाने तक के गंभीर परिणाम
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए ITR फाइलिंग की अंतिम तिथि को बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 कर दिया है। यह महत्वपूर्ण बदलाव ITR फॉर्म में हुए नए सुधारों को ध्यान में रखते हुए किया गया है। लेकिन यह राहत सिर्फ तारीख तक सीमित है। यदि आप 15 सितंबर 2025 तक भी अपना रिटर्न दाखिल नहीं करते हैं, तो आप कई गंभीर समस्याओं में पड़ सकते हैं:
1. लेट फाइलिंग फीस (Late Filing Fee) – सेक्शन 234F:
यदि आप नियत तारीख (15 सितंबर 2025) तक अपना ITR फाइल नहीं करते हैं, तो आपको आयकर अधिनियम की धारा 234F के तहत विलंबित फाइलिंग शुल्क का भुगतान करना होगा।
यदि आपकी कुल टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपये से अधिक है, तो आप पर ₹5,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
जिन लोगों की आय 5 लाख रुपये से कम है, उनके लिए यह पेनल्टी ₹1,000 तक सीमित है।
2. 1% मासिक ब्याज का बोझ – सेक्शन 234A:
विलंबित रिटर्न दाखिल करने पर, आपको धारा 234A के तहत हर महीने 1% का ब्याज भी देना पड़ सकता है। यह ब्याज 15 सितंबर 2025 के बाद उस महीने या उसके हिस्से पर लगाया जाएगा, जब तक आप अपना रिटर्न फाइल नहीं करते या राजस्व विभाग द्वारा 'सर्वश्रेष्ठ निर्णय मूल्यांकन' (Best Judgment Assessment) नहीं कर लिया जाता। यह ब्याज आपकी टैक्स देनदारी पर अतिरिक्त बोझ डाल सकता है।
3. टैक्स छूट और लाभों से वंचित – महत्वपूर्ण टैक्स लाभों का नुकसान:
यदि आप नियत तारीख के बाद अपना रिटर्न दाखिल करते हैं, तो आप कुछ महत्वपूर्ण कर छूटों (tax exemptions) का लाभ नहीं उठा पाएंगे। उदाहरण के लिए, धारा 80C, 80D जैसी छूटों के लिए क्लेम करने हेतु निर्धारित समय-सीमा के भीतर ITR फाइल करना आवश्यक है। इसके अलावा, आप किसी वित्तीय वर्ष में हुए बिजनेस लॉस को अगले वर्षों में आगे नहीं ले जा पाएंगे (carry forward), जिससे भविष्य में होने वाली टैक्स देनदारी बढ़ सकती है।
4. गलत जानकारी देने पर भारी जुर्माना – सेक्शन 270A:
यदि आपकी आय कर योग्य है, लेकिन आपने जानबूझकर रिटर्न दाखिल नहीं किया या गलत जानकारी दी, तो इनकम टैक्स विभाग धारा-270A के तहत आपकी टैक्स राशि का 50% तक का जुर्माना लगा सकता है। यह स्थिति तब बनती है जब कर छिपाने या गलत जानकारी देने के इरादे साबित हो जाते हैं।
5. गंभीर मामलों में जेल का प्रावधान – सेक्शन 276CC:
सबसे गंभीर स्थिति तब आती है जब बकाया कर की राशि 25 लाख रुपये से अधिक हो और आपने जानबूझकर ITR फाइल न किया हो। ऐसे मामलों में, इनकम टैक्स विभाग धारा-276CC के तहत आपके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू कर सकता है। इस कानूनी प्रावधान के तहत, आपको कम से कम 6 महीने से लेकर 7 साल तक की कैद की सज़ा और भारी जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।
इसलिए, यद्यपि ITR फाइल करने की अंतिम तिथि को बढ़ा दिया गया है, फिर भी 15 सितंबर 2025 से पहले अपना इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करना ही समझदारी है। ऐसा करके आप न केवल लेट फाइलिंग फीस और ब्याज से बचेंगे, बल्कि अपने टैक्स लाभों को भी सुरक्षित रख पाएंगे और किसी भी अप्रिय कानूनी कार्रवाई से दूर रह पाएंगे। अपने फाइनेंशियल ईयर 2024-25 के लिए ITR समय पर फाइल करके 'कर बचाओ, टैक्स भरो' के सिद्धांत का पालन करें।
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