Nature's double attack on the mountains: जम्मू-कश्मीर में बादल फटने से मची तबाही, जम्मू-पठानकोट हाईवे और रेलवे संपर्क टूटा

Post

जम्मू-कश्मीर, जिसे धरती का स्वर्ग कहा जाता है, इन दिनों कुदरत के रौद्र रूप का सामना कर रहा है। हाल ही में किश्तवाड़ में बादल फटने से हुई तबाही के जख्म अभी भरे भी नहीं थे कि अब कठुआ जिले में भी 'जल प्रलय' जैसा मंजर देखने को मिला है। कठुआ की बानी तहसील में बादल फटने (Cloudburst) के बाद आई अचानक बाढ़ (Flash Flood) ने भारी तबाही मचाई है, जिससे इलाके में हाहाकार मच गया है।

इस प्राकृतिक आपदा का सबसे विनाशकारी प्रभाव जम्मू को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाली जीवन रेखा, यानी जम्मू-पठानकोट राष्ट्रीय राजमार्ग और रेलवे लाइन पर पड़ा है। बाढ़ के पानी का वेग इतना तेज था कि इसने रेलवे ट्रैक के नीचे की जमीन और पुल को ही बहा दिया, जिससे रेल और सड़क, दोनों मार्ग पूरी तरह से ठप हो गए हैं। इस घटना ने एक बार फिर पहाड़ी इलाकों में जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरों की ओर सबका ध्यान खींचा है।

क्या होता है बादल का फटना?

सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि 'बादल फटना' क्या होता है। यह बारिश का एक चरम रूप है। जब किसी एक बहुत छोटी सी जगह पर (लगभग 20-30 वर्ग किलोमीटर के दायरे में) एक घंटे के भीतर 100 मिलीमीटर या उससे भी ज्यादा बारिश हो जाती है, तो इस घटना को बादल फटना कहते हैं। पहाड़ों पर इसकी विनाशकारी क्षमता इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि पानी तेजी से ढलान पर नीचे की ओर बहता है और अपने साथ भारी मात्रा में मिट्टी, पत्थर और मलबा लेकर आता है, जो एक विनाशकारी बाढ़ का रूप ले लेता है।

 

कठुआ में तबाही का खौफनाक मंजर

कठुआ जिले में हुई इस घटना ने सामान्य जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है।

  • रेलवे संपर्क टूटा: अचानक आई बाढ़ का सबसे भयानक असर चनैयडीन इलाके के पास जम्मू-पठानकोट रेलवे लाइन पर देखने को मिला। बाढ़ के तेज बहाव ने ट्रैक के नीचे के एक पुल (Bridge No. 32) को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया और ट्रैक के नीचे की पूरी जमीन बहा ले गया। इसके कारण रेलवे ट्रैक हवा में झूल गया, जिससे जम्मू से आने-जाने वाली सभी ट्रेनों का परिचालन तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया है। भारतीय रेलवे (Indian Railways) की टीमें मरम्मत कार्य में जुटी हैं, लेकिन संपर्क बहाल होने में समय लग सकता है।
  • नेशनल हाईवे पर लगा ब्रेक: रेलवे लाइन के साथ-साथ, जम्मू-पठानकोट हाईवे को भी भारी नुकसान पहुंचा है। कई जगहों पर सड़क बह गई है और भूस्खलन के कारण मलबा जमा हो गया है। प्रशासन ने हाईवे पर ट्रैफिक को रोक दिया है, जिसके कारण हजारों वाहन, जिनमें यात्री बसें, ट्रक और निजी गाड़ियां शामिल हैं, रास्ते में फंस गए हैं।
  • वैष्णो देवी और कश्मीर जाने वाले यात्री प्रभावित: जम्मू-पठानकोट हाईवे, माता वैष्णो देवी के आधार शिविर कटरा और कश्मीर घाटी जाने के लिए मुख्य मार्ग है। इसके बंद होने से हजारों तीर्थयात्री और पर्यटक भी रास्ते में फंस गए हैं, जिन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।
  • स्थानीय जन-जीवन अस्त-व्यस्त: कई गांवों का संपर्क मुख्य सड़क से कट गया है और बाढ़ का पानी निचले इलाकों के घरों में घुस गया है, जिससे लोगों को भारी नुकसान हुआ है।

किश्तवाड़ के बाद कठुआ, एक चिंताजनक पैटर्न

यह एक सप्ताह के भीतर जम्मू-कश्मीर में बादल फटने की दूसरी बड़ी घटना है। इससे पहले किश्तवाड़ जिले के चसोती नाले में बादल फटने से भी भारी तबाही हुई थी। मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के कारण हिमालयी क्षेत्र में ऐसी चरम मौसमी घटनाओं की आवृत्ति (frequency) और तीव्रता (intensity) बढ़ रही है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है।

प्रशासन की कार्रवाई और बचाव अभियान

घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय प्रशासन, SDRF (State Disaster Response Force) और पुलिस की टीमें तुरंत हरकत में आ गईं। फंसे हुए लोगों को निकालने और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए बचाव अभियान चलाया जा रहा है। हाईवे और रेलवे ट्रैक को जल्द से जल्द बहाल करने के लिए युद्धस्तर पर काम किया जा रहा है। मौसम विभाग (IMD) ने आने वाले दिनों में भी जम्मू-कश्मीर के कई पहाड़ी जिलों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है और लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है।

यह घटनाएं एक चेतावनी हैं कि हमें पहाड़ों पर विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाने की तत्काल आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी आपदाओं के विनाशकारी प्रभाव को कम किया जा सके।

--Advertisement--

--Advertisement--