MP में शिमला से ज़्यादा ठंड! पारा 7 डिग्री तक गिरा, जानिए आपके शहर में कितनी है सर्दी

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मध्य प्रदेश में सर्दी ने दस्तक दे दी है और इसका असर अब साफ दिखने लगा है। उत्तर भारत से आ रही बर्फीली हवाओं ने प्रदेश के कई इलाकों में ठंड बढ़ा दी है, खासकर ग्वालियर, चंबल, उज्जैन, इंदौर, सागर और भोपाल संभाग में तापमान तेजी से नीचे गिरा है। हालांकि, मध्य प्रदेश के दक्षिणी हिस्से में बसे हिल स्टेशन पचमढ़ी में अभी ठंड की रफ्तार थोड़ी धीमी है।

भोपाल और इंदौर निकले शिमला से भी ठंडे!

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि उत्तर भारत के कई शहरों से ज़्यादा ठंड इस समय मध्य प्रदेश में पड़ रही है। पिछले दो दिनों के आंकड़े देखें तो उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में रात का तापमान 10 डिग्री और हिमाचल की राजधानी शिमला में 8.2 डिग्री सेल्सियस था। वहीं, मध्य प्रदेश के इंदौर में पारा 7.6 डिग्री और भोपाल में 8.2 डिग्री तक लुढ़क गया। यह सिलसिला पिछले एक हफ्ते से बना हुआ है।

प्रदेश के अलग-अलग शहरों में क्या है तापमान?

मौसम विभाग के मुताबिक, ठंडी हवाओं का सबसे ज़्यादा असर प्रदेश के उत्तरी इलाकों में है। राजगढ़ की रातें सबसे ठंडी दर्ज की गई हैं, जहाँ न्यूनतम तापमान 7.4 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया है।

अन्य प्रमुख शहरों का हाल:

  • उमरिया: 8.4 डिग्री
  • रीवा: 8.9 डिग्री
  • शिवपुरी: 9 डिग्री
  • जबलपुर: 9.9 डिग्री
  • उज्जैन: 10.7 डिग्री
  • ग्वालियर: 11.4 डिग्री

इसके अलावा मंडला में 10.1 डिग्री, बैतूल में 10.2 डिग्री और दतिया में 10.9 डिग्री तापमान रिकॉर्ड किया गया है। प्रदेश के बाकी शहरों में भी पारा धीरे-धीरे गिर रहा है।

'कोल्ड डे' और 'कोल्ड वेव' की चपेट में कई ज़िले

मौसम विभाग का कहना है कि मध्य प्रदेश के कई इलाकों में 'कोल्ड डे' और 'कोल्ड वेव' (शीतलहर) जैसे हालात बने हुए हैं। अनूपपुर और बालाघाट में 'कोल्ड डे' की स्थिति है, जबकि भोपाल, इंदौर, उज्जैन, सागर और शहडोल संभाग के कई ज़िले शीतलहर की चपेट में हैं।

क्या होता है 'कोल्ड डे'?

'कोल्ड डे' की घोषणा तब की जाती है, जब किसी जगह का न्यूनतम तापमान 10 डिग्री से नीचे चला जाता है और दिन का अधिकतम तापमान भी सामान्य से 6.5 डिग्री या उससे ज़्यादा गिर जाता है। यानी दिन और रात, दोनों ही बहुत ठंडे होते हैं, जैसा कि अभी अनूपपुर और बालाघाट में हो रहा है।

मौसम विभाग के अनुसार, नवंबर के दूसरे हफ्ते में ठंड का असर और बढ़ेगा। ग्वालियर-चंबल संभाग में इसका प्रभाव सबसे ज़्यादा देखने को मिलेगा, क्योंकि उत्तर भारत की बर्फीली हवाएं सीधे वहीं असर कर रही हैं।

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