छत्तीसगढ़ में मातम, एक ही परिवार के 5 लोगों की रहस्यमयी मौत, जहरीले खाने ने उजाड़ दिया पूरा घर

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News India Live, Digital Desk: छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले से एक ऐसी दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है, जिसने पूरे इलाके को मातम में डुबो दिया है। यहां ओरछा ब्लॉक के बटुम गांव में एक ही परिवार के पांच लोगों की जहरीला खाना खाने से दर्दनाक मौत हो गई। मरने वालों में पति-पत्नी और उनके तीन मासूम बच्चे शामिल हैं। इस घटना के बाद से पूरे गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है और हर कोई यह जानने की कोशिश कर रहा है कि आखिर उस रात खाने में ऐसा क्या था जिसने एक हंसते-खेलते परिवार को हमेशा के लिए सुला दिया।

क्या है पूरा मामला?

यह दर्दनाक घटना ओरछा के अंदरूनी और नक्सल प्रभावित इलाके में बसे बटुम गांव की है। यहां रहने वाले एक आदिवासी परिवार ने रात में खाना खाया, जिसके कुछ ही देर बाद एक-एक कर सबकी तबीयत बिगड़ने लगी।

  • एक के बाद एक मौत: सबसे पहले परिवार के मुखिया और उसकी पत्नी की हालत खराब हुई, और जब तक कोई कुछ समझ पाता, दोनों ने दम तोड़ दिया।
  • मासूम भी नहीं बच पाए: इसके बाद, उनके तीन छोटे-छोटे बच्चों की भी तबीयत बिगड़ने लगी। गांव के लोग उन्हें किसी तरह इलाज के लिए पास के स्वास्थ्य केंद्र ले जाने की कोशिश कर ही रहे थे कि तीनों बच्चों ने भी रास्ते में ही दम तोड़ दिया।

इस घटना की जानकारी मिलते ही प्रशासन में हड़कंप मच गया। पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीमें तुरंत गांव के लिए रवाना हो गईं।

मौत की वजह क्या? खाना या कुछ और?

फिलहाल मौत का कारण फूड पॉइजनिंग यानी जहरीला भोजन माना जा रहा है, लेकिन कई सवाल अभी भी अनसुलझे हैं।

  • खाने में क्या था?: परिवार ने रात के खाने में क्या खाया था? क्या वह कोई जंगली भाजी या मशरूम था जो जहरीला निकला?
  • कोई साजिश तो नहीं?: क्या खाने में जानबूझकर किसी ने जहर मिलाया था?
  • बीमारी या संक्रमण?: या फिर यह किसी अज्ञात बीमारी या संक्रमण का मामला है?

पुलिस ने घर में बचे हुए खाने के सैंपल जांच के लिए भेज दिए हैं और सभी शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भिजवा दिया गया है। पोस्टमॉर्टम और खाने की जांच रिपोर्ट आने के बाद ही मौत की असली वजह का खुलासा हो सकेगा।

इस एक घटना ने न सिर्फ एक परिवार को खत्म कर दिया, बल्कि इसने बस्तर के दूर-दराज के इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी को भी एक बार फिर उजागर कर दिया है। अगर समय पर इलाज मिल जाता, तो शायद कुछ जानें बचाई जा सकती थीं।

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