घर में नहीं टिकता पैसा और रहती है कलह? कहीं आपके पूजा घर में तो नहीं हैं ये 5 वास्तु दोष
हमारे घर का मंदिर सिर्फ पूजा-पाठ का एक कोना नहीं, बल्कि वो जगह है जहां हम अपनी सारी चिंताएं छोड़कर भगवान से जुड़ते हैं। यह घर का सबसे पवित्र और सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, अगर घर का मंदिर सही दिशा और सही तरीके से स्थापित हो, तो घर में सुख-शांति, समृद्धि और सकारात्मकता का वास होता है।
कई बार हम अनजाने में कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जो वास्तु दोष का कारण बनती हैं और पूजा का पूरा फल हमें नहीं मिल पाता। आइए, जानते हैं पूजा घर से जुड़े कुछ सरल वास्तु नियम, जिन्हें अपनाकर आप अपने घर में ईश्वर की कृपा और आशीर्वाद बनाए रख सकते हैं।
मंदिर के लिए 5 जरूरी वास्तु नियम
1. मंदिर के लिए सबसे अच्छी दिशा (ईशान कोण)
वास्तु शास्त्र में पूजा घर के लिए सबसे शुभ दिशा उत्तर-पूर्व कोना, यानी ईशान कोण को माना गया है। यह दिशा देवताओं की दिशा कहलाती है। अगर आपके घर में इस दिशा में जगह नहीं है, तो आप पूर्व दिशा में भी मंदिर बना सकते हैं। ध्यान रखें कि पूजा करते समय आपका चेहरा भी पूर्व या उत्तर दिशा की ओर ही होना चाहिए। इससे मन एकाग्र होता है।
2. इन जगहों पर भूलकर भी न बनाएं मंदिर
पूजा घर को कभी भी सीढ़ियों के नीचे, टॉयलेट या बाथरूम की दीवार से सटाकर नहीं बनाना चाहिए। यह घर में नकारात्मक ऊर्जा और वास्तु दोष का सबसे बड़ा कारण बनता है। मंदिर को हमेशा जमीन से थोड़ी ऊंचाई पर, किसी साफ-सुथरी चौकी या प्लेटफॉर्म पर ही स्थापित करें।
3. मूर्तियों का आकार और संख्या
घर के मंदिर में रखी जाने वाली भगवान की मूर्तियां 9 इंच से ज्यादा बड़ी नहीं होनी चाहिए। मूर्तियों को दीवार से थोड़ा हटाकर रखें ताकि हवा का प्रवाह बना रहे। अगर कोई मूर्ति खंडित हो जाए या टूट जाए, तो उसे तुरंत मंदिर से हटाकर बहते जल में प्रवाहित कर दें। खंडित मूर्तियां रखना अशुभ माना जाता है। साथ ही, एक ही भगवान की कई मूर्तियां एक साथ रखने से बचें।
4. कैसा हो मंदिर का रंग?
पूजा घर की दीवारों का रंग हमेशा हल्का और शांत होना चाहिए, जो मन को सुकून दे। इसके लिए हल्का पीला, सफेद, क्रीम या हल्का गुलाबी रंग सबसे अच्छा माना जाता है। मंदिर में गहरे या काले रंगों का प्रयोग करने से बचना चाहिए, क्योंकि ये रंग मन पर भारीपन लाते हैं।
5. किचन या बेडरूम में न हो पूजा घर
वास्तु के अनुसार, मंदिर को किचन या बेडरूम में बनाना ठीक नहीं माना जाता। अगर मजबूरी में ऐसा करना भी पड़े, तो मंदिर के आगे एक पर्दा जरूर लगा दें ताकि सोते समय या किचन में काम करते समय मंदिर ढका रहे। पूजा स्थान पर कभी भी जूते-चप्पल लेकर न जाएं और इसे हमेशा साफ-सुथरा और सुगंधित बनाए रखें।
इन छोटे-छोटे बदलावों को अपनाकर आप अपने घर के मंदिर को सकारात्मक ऊर्जा का एक शक्तिशाली केंद्र बना सकते हैं।
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