Minor Rape case: आसाराम को नहीं मिलेगी अंतरिम जमानत राजस्थान हाई कोर्ट का फैसला

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Newsindia live,Digital Desk: Minor Rape case: नाबालिग लड़की से रेप के आरोप में जोधपुर जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम बापू को एक बार फिर राजस्थान उच्च न्यायालय से बड़ा झटका लगा है अदालत ने उनकी अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दी है जिससे उन्हें फिलहाल जेल में ही रहना पड़ेगा आसाराम ने अपने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए अंतरिम जमानत की मांग की थी

जस्टिस प्रशांत कुमार जैन की एकल पीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुनाया आसाराम की ओर से पेश हुए वकीलों ने कोर्ट को बताया कि उनकी स्वास्थ्य स्थिति बेहद गंभीर है और उन्हें उचित चिकित्सा के लिए अंतरिम जमानत की आवश्यकता है उनके वकीलों ने बढ़ती उम्र और जेल में पर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं की कमी का भी हवाला दिया मेडिकल रिपोर्ट्स में उनकी बीमारियों का जिक्र किया गया है जैसे हृदय रोग श्वास संबंधी समस्याएँ और अन्य उम्र संबंधी बीमारियाँ

हालांकि सरकारी वकील ने जमानत याचिका का पुरजोर विरोध किया उन्होंने कहा कि आसाराम को एम्स जैसी विशेष चिकित्सा सुविधाओं से युक्त अस्पतालों में समुचित उपचार मिल रहा है सरकारी वकील ने तर्क दिया कि यदि उन्हें किसी विशेष चिकित्सा सहायता की आवश्यकता होती है तो सरकार उसे जेल में ही उपलब्ध कराएगी ऐसे में उनकी अंतरिम जमानत याचिका को स्वीकार करना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा इससे पहले भी आसाराम कई बार मेडिकल आधार पर जमानत की अर्जी लगा चुके हैं और उनकी अर्जी खारिज होती रही है

अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार किया और पाया कि आसाराम की स्वास्थ्य स्थिति उतनी गंभीर नहीं है जितनी उनके वकील दावा कर रहे हैं कोर्ट ने कहा कि जेल प्रशासन उन्हें आवश्यक चिकित्सा सुविधाएँ प्रदान कर रहा है ऐसे में उनकी अंतरिम जमानत याचिका को खारिज किया जाता है इस निर्णय से यह स्पष्ट हो गया है कि कानून सभी के लिए समान है और कोई भी व्यक्ति अपने प्रभाव के कारण विशेष उपचार का हकदार नहीं है

आसाराम बापू को अगस्त दो हज़ार तेरह में एक नाबालिग लड़की से यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार किया गया था जोधपुर अदालत ने उन्हें अप्रैल दो हज़ार अठारह में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी तब से वह जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं उनकी कई बार अंतरिम जमानत और नियमित जमानत की अर्जी खारिज हो चुकी है उच्च न्यायालय के इस नवीनतम फैसले से उन्हें अभी और जेल में रहना होगा और उनकी स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं पर जेल प्रशासन द्वारा ही ध्यान दिया जाएगा

यह फैसला यौन अपराधों के पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित करने और कानून के शासन को मजबूत करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है यह दर्शाता है कि अदालतें ऐसे गंभीर मामलों में कड़ा रुख अपना रही हैं जहाँ दोषियों को उनके अपराधों के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है और कोई भी वीआईपी या कोई प्रभावशाली व्यक्ति सजा से नहीं बचेगा इस मामले ने पूरे देश में बड़े पैमाने पर ध्यान आकर्षित किया था यह न्याय व्यवस्था पर लोगों के भरोसे को बढ़ाता है

 

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