Mental Health : हर काम में हड़बड़ी करते हैं तो हो जाएं सावधान, आप हरी सिकनेस के शिकार तो नहीं

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News India Live, Digital Desk:  Mental Health :  क्या आपको भी हमेशा यही महसूस होता है कि समय कम है और करने को बहुत कुछ है? हर काम जल्दी-जल्दी निपटाने की धुन सवार रहती है और कभी शांति से बैठने का मन ही नहीं करता? अगर हाँ, तो मुमकिन है कि आप 'हरी सिकनेस' (Hurry Sickness) का शिकार हो रहे हों. यह कोई बीमारी नहीं, बल्कि एक मनोवैज्ञानिक स्थिति है जिसमें इंसान हमेशा हड़बड़ी में रहता है, खुद पर दबाव डालता है और हर चीज़ जल्द से जल्द खत्म करना चाहता है. आजकल की तेज़-तर्रार ज़िंदगी में यह समस्या बहुत से लोगों में देखी जा रही है, जिससे उनका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है.

क्या होती है 'हरी सिकनेस'?
'हरी सिकनेस' दरअसल उस आदत को कहते हैं जहाँ व्यक्ति हर वक्त खुद को भागते हुए महसूस करता है. उसे लगता है कि उसके पास समय कम है और उसे हर काम जल्दी से खत्म करना है. यह एक ऐसा जाल है जहाँ हम हमेशा घड़ियों से रेस लगाते रहते हैं और खुद को बेहद व्यस्त दिखाने में जुटे रहते हैं. अक्सर लोग सोचते हैं कि जितना व्यस्त रहेंगे, उतने सफल होंगे, और इसी सोच के चक्कर में वे इस सिकनेस का शिकार हो जाते हैं.

क्या आप भी हैं 'हरी सिकनेस' का शिकार? ऐसे पहचानें लक्षण:

  1. हर काम में बेसब्री: आप किसी भी काम के लिए इंतज़ार नहीं कर पाते, चाहें वो छोटी-मोटी दुकान की लाइन हो या ट्रैफिक.
  2. लगातार व्यस्त रहना: खाली बैठना आपको अच्छा नहीं लगता और आप हमेशा कुछ न कुछ करते रहते हैं.
  3. पल को न जीना: आप वर्तमान में चल रहे पलों का आनंद नहीं ले पाते क्योंकि आपका दिमाग हमेशा अगली चीज़ पर होता है.
  4. गुस्सा और चिड़चिड़ापन: छोटी-छोटी बातें आपको परेशान करती हैं और आप अक्सर गुस्सा हो जाते हैं.
  5. दूसरों की बात काटना: दूसरों को अपनी बात पूरी कहने का मौका नहीं देते और जल्दी से खुद बोलना शुरू कर देते हैं.
  6. तेज़ खाना-पीना: आप बिना सोचे-समझे बहुत जल्दी खाना खाते हैं.
  7. टेक्नोलॉजी पर लगातार नज़र: आप बार-बार अपना फोन, ईमेल या मैसेज चेक करते रहते हैं.

इस 'जल्दी-जल्दी' वाली आदत से कैसे निकलें?
अच्छी बात यह है कि 'हरी सिकनेस' से निपटा जा सकता है. इसके लिए आपको बस कुछ बदलाव करने होंगे:

  1. प्राथमिकताएं तय करें: अपने कामों को सही ढंग से व्यवस्थित करें. पहचानें कि क्या ज़्यादा ज़रूरी है और क्या बाद में किया जा सकता है. हर काम में 'हाँ' कहना बंद करें.
  2. माइंडफुलनेस अपनाएं: हर दिन कुछ पल ध्यान लगाएं, गहरी साँस लें. वर्तमान में जीने की कोशिश करें. जो आप कर रहे हैं, उस पर पूरा ध्यान दें, चाहें वो खाना हो या चलना.
  3. सीमाएं निर्धारित करें: सीखें कि कब 'ना' कहना है. खुद पर ज़रूरत से ज़्यादा काम का बोझ न डालें. अपने लिए भी समय निकालें.
  4. छोटे-छोटे ब्रेक लें: काम के बीच छोटे-छोटे ब्रेक ज़रूर लें. इससे दिमाग तरोताज़ा रहता है और काम पर बेहतर फोकस हो पाता है.
  5. धीरे चलें, धीरे खाएं: हर चीज़ में जल्दीबाजी करना छोड़ दें. अगर आप खाना खा रहे हैं, तो आराम से चबाकर स्वाद लेकर खाएं. अगर कहीं जा रहे हैं, तो जान-बूझकर थोड़ी धीरे चलें.
  6. डिजिटल डिटॉक्स करें: थोड़ी देर के लिए अपने फोन, लैपटॉप और बाकी गैजेट्स से दूर रहें. टेक्नोलॉजी से दूरी बनाने से दिमाग को शांति मिलती है.
  7. सफलता की परिभाषा बदलें: सिर्फ व्यस्त रहना ही सफलता नहीं है. खुद को यह समझाएं कि आराम करना और मन को शांत रखना भी उत्पादकता का ही हिस्सा है.

इस 'हरी सिकनेस' से निकलकर आप एक ज़्यादा शांत और खुशहाल जीवन जी सकते हैं.

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