तेलंगाना में कांग्रेस का मास्टरस्ट्रोक अजहरुद्दीन बने मंत्री, BJP बोली यह तुष्टिकरण की राजनीति है
News India Live, Digital Desk : तेलंगाना की राजनीति में शुक्रवार को एक बड़ा और चौंकाने वाला फेरबदल देखने को मिला, जिसकी गूंज दिल्ली तक सुनाई दी। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और कलाई के जादूगर मोहम्मद अजहरुद्दीन ने अब सियासत की पिच पर एक नई और दमदार पारी की शुरुआत की है। उन्हें मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की कैबिनेट में मंत्री के रूप में शामिल किया गया है, जिसके बाद उन्होंने मंत्री पद की शपथ भी ले ली है।
कांग्रेस पार्टी के इस 'मास्टरस्ट्रोक' ने जहां एक तरफ पार्टी कार्यकर्ताओं में नया जोश भर दिया है, वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इसे लेकर कांग्रेस पर 'तुष्टिकरण की राजनीति' करने का गंभीर आरोप लगाया है।
अजहर की राजनीति में दूसरी 'इनिंग'
अजहरुद्दीन का राजनीतिक सफर काफी दिलचस्प रहा है।
- कांग्रेस से शुरुआत: उन्होंने अपना राजनीतिक करियर 2009 में कांग्रेस के साथ ही शुरू किया था और उत्तर प्रदेश की मुरादाबाद सीट से लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद भी बने थे।
- तेलंगाना में वापसी: हाल ही में संपन्न हुए तेलंगाना विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्हें तेलंगाना कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। हालांकि, उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन पूरे प्रदेश में कांग्रेस के पक्ष में, खासकर अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में, जमकर प्रचार किया था।
- और अब मिला इनाम: माना जा रहा है कि पार्टी ने उन्हें चुनाव में उनकी मेहनत और उनकी सेलिब्रिटी छवि का इनाम दिया है।
BJP ने साधा निशाना, बताया 'तुष्टिकरण'
अजहरुद्दीन के मंत्री बनते ही बीजेपी ने रेवंत रेड्डी सरकार पर जोरदार हमला बोल दिया है। बीजेपी का कहना है कि यह फैसला योग्यता के आधार पर नहीं, बल्कि सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम वोटों को साधने के लिए लिया गया है।
बीजेपी प्रवक्ता ने कहा, "यह कांग्रेस की पुरानी आदत है। वे हमेशा से तुष्टिकरण और वोट बैंक की राजनीति करते आए हैं। अजहरुद्दीन को मंत्री बनाना इसी का एक ताजा उदाहरण है। यह फैसला तेलंगाना के विकास के लिए नहीं, बल्कि ओवैसी की पार्टी AIMIM के वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए किया गया है।"
कांग्रेस का दांव, क्या ओवैसी के 'किले' में लगेगी सेंध?
दूसरी ओर, राजनीतिक विश्लेषक कांग्रेस के इस कदम को एक सोची-समझी रणनीति के तौर पर देख रहे हैं। अजहरुद्दीन हैदराबाद से ही आते हैं और मुस्लिम समुदाय के युवाओं के बीच वह काफी लोकप्रिय हैं। कांग्रेस उन्हें एक बड़े 'अल्पसंख्यक चेहरे' के रूप में पेश करके हैदराबाद और आसपास के शहरी इलाकों में असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM के दशकों पुराने वर्चस्व को सीधी चुनौती देने की तैयारी में है।
अब देखना यह होगा कि क्रिकेट की पिच पर 'कप्तान' के रूप में सफल रहे मोहम्मद अजहरुद्दीन, सियासत की इस मुश्किल पिच पर कितने कामयाब हो पाते हैं। क्या वह अपनी टीम (कांग्रेस) के लिए 'मैच जिताऊ' पारी खेल पाएंगे, या फिर बीजेपी के आरोपों की 'गुगली' में फंस जाएंगे?
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