Mantra of success: चाणक्य के अनुसार इन मौकों पर शर्म करना है सबसे बड़ी भूल

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Newsindia live,Digital Desk: Mantra of success: आचार्य चाणक्य, जिन्हें कौटिल्य के नाम से भी जाना जाता है, एक महान विद्वान, रणनीतिकार और अर्थशास्त्री थे। उनकी नीतियां आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी सदियों पहले थीं। चाणक्य नीति में जीवन के हर पहलू से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं, जो किसी भी व्यक्ति को सफलता और सुखी जीवन की राह दिखा सकती हैं। इन्हीं नीतियों में से एक यह भी है कि मनुष्य को किन परिस्थितियों में शर्म या संकोच नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऐसे मौकों पर शर्म करना प्रगति में बाधक बन सकता है।

आचार्य चाणक्य के अनुसार, कुछ ऐसे स्थान और अवसर होते हैं जहाँ व्यक्ति का बेशर्म या निर्लज्ज रहना ही उसके हित में होता है। यहाँ 'बेशर्म' होने का अर्थ अभद्रता से नहीं, बल्कि बिना किसी झिझक या संकोच के अपने हक की बात करने या अपना काम निकालने से है।

सबसे पहली स्थिति है धन से जुड़े मामलों में। चाणक्य कहते हैं कि पैसों के लेन-देन में कभी भी शर्म नहीं करनी चाहिए। यदि आपने किसी को उधार दिया है, तो उसे वापस मांगने में संकोच न करें। ऐसा न करने पर आपको आर्थिक हानि उठानी पड़ सकती है।

दूसरी स्थिति है ज्ञान प्राप्त करते समय। जब आप किसी गुरु या शिक्षक से विद्या ग्रहण कर रहे हों, तो कभी भी सवाल पूछने में शर्म महसूस न करें। यदि कोई विषय समझ में नहीं आ रहा है, तो बिना झिझक के उसे दोबारा पूछें। संकोच करने से आपका ज्ञान अधूरा रह जाएगा और आप हमेशा अज्ञान के अंधकार में रहेंगे।

तीसरी महत्वपूर्ण जगह है भोजन करते समय। चाणक्य का मानना था कि व्यक्ति को भोजन करते वक्त कभी भी शर्म नहीं करनी चाहिए। यदि आप किसी के घर मेहमान बनकर गए हैं और आपका पेट नहीं भरा है, तो और भोजन मांगने में संकोच न करें। भूखे रहने से आपका स्वास्थ्य खराब हो सकता है।

इसके अलावा, व्यापार या किसी भी तरह के व्यवहार में भी व्यक्ति को स्पष्टवादी होना चाहिए। अपने काम और व्यापार को लेकर खुलकर बात करने और अपने सौदे को लेकर मोलभाव करने में शर्म करने वाला व्यक्ति अक्सर घाटा उठाता है।

अंत में, अपनी बात रखते समय कभी भी शर्म नहीं करनी चाहिए। यदि किसी सभा या चर्चा में आपको अपनी राय रखनी है, तो बिना डरे और संकोच किए अपनी बात कहें। संकोची व्यक्ति कभी भी अपनी बात दूसरों तक नहीं पहुँचा पाता और अक्सर गलतफहमियों का शिकार हो जाता है। इन मौकों पर शर्म त्यागने वाला व्यक्ति ही जीवन में सुखी और सफल रहता है।

 

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