Maharashtra Government's initiative: मुंबई धमाकों के बरी हुए दोषियों के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील

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News India Live, Digital Desk: Maharashtra Government's initiative:  महाराष्ट्र सरकार ने 2006 में मुंबई की लोकल ट्रेनों को दहलाने वाले भयावह सीरियल बम धमाकों के संबंध में एक महत्वपूर्ण और दूरगामी कदम उठाया है। सरकार ने इन धमाकों के उन आरोपियों को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने का निर्णय लिया है, जिन्हें निचली अदालत और बाद में उच्च न्यायालय ने बरी कर दिया था। इस फैसले का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इस जघन्य अपराध के सभी जिम्मेदार व्यक्ति न्याय के कटघरे में आ सकें।

ये धमाके मुंबई की उपनगरीय रेलवे में हुए थे, जिनमें 209 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे। इन आतंकी हमलों ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया था और देश की वित्तीय राजधानी की रीढ़ मानी जाने वाली जीवनरेखा को निशाना बनाया था। जांच और सुनवाई के बाद, एक विशेष पोटा (आतंकवाद निवारण अधिनियम) अदालत ने 2015 में इस मामले में फैसला सुनाया था। उस समय, अदालत ने 12 आरोपियों को दोषी ठहराया था— जिनमें से 7 को मौत की सजा और 5 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। हालाँकि, इसी फैसले में 13 अन्य आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया था।

बाद में, जब यह मामला बॉम्बे हाई कोर्ट में गया, तो उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के कुछ फैसलों को बरकरार रखा, जिसमें इन बरी किए गए आरोपियों का निर्णय भी शामिल था। अब राज्य सरकार ने इन बरी हुए व्यक्तियों के खिलाफ नए सिरे से उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है।

सरकार का यह कदम पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए आशा की एक नई किरण है, जो इतने वर्षों से न्याय की पूरी प्रतीक्षा कर रहे हैं। राज्य सरकार का मानना है कि इन बरी किए गए व्यक्तियों के खिलाफ भी पर्याप्त सबूत मौजूद हैं और न्याय के हित में इस मामले को उच्चतम न्यायालय तक ले जाना आवश्यक है। यह कदम न्याय प्रक्रिया में संभावित कमियों को सुधारने और इस जघन्य अपराध से जुड़े सभी पहलुओं पर गहन विचार-विमर्श सुनिश्चित करने के सरकार के संकल्प को दर्शाता है। उच्चतम न्यायालय में यह मामला फिर से खुलने से इस हत्याकांड से जुड़े अंतिम सच तक पहुंचने और पीड़ितों को अंततः न्याय दिलाने की उम्मीद जगी है।

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