Lucknow : डीएम के दफ्तर में पेशाब कांड, भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद का हल्ला बोल, डीएम पर FIR की मांग
News India Live, Digital Desk: लखनऊ (Lucknow) में डीएम ऑफिस (DM office) में हाल ही में हुई 'पेशाब कांड' (Pee-gate incident) की घटना ने पूरे प्रदेश में सनसनी (Sensation) मचा दी है। इस घटना को दलितों के अपमान (Insult to Dalits) से जोड़ते हुए, भीम आर्मी चीफ (Bhim Army Chief) और आजाद समाज पार्टी (Azad Samaj Party) के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Azad) ने कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने इस घटना को "दलित विरोधी मानसिकता का घिनौना कृत्य" (Disgusting act of anti-Dalit mentality) बताते हुए, जिलाधिकारी (District Magistrate - DM) के खिलाफ सख्त कार्रवाई (Strict action) और FIR (एफ.आई.आर) दर्ज करने की मांग की है।
क्या है पूरा मामला?
यह घटना लखनऊ के डीएम कार्यालय (DM office) में हुई, जहाँ कथित तौर पर एक दलित व्यक्ति (Dalit person) के साथ अमानवीय व्यवहार (Inhuman treatment) किया गया। खबर के अनुसार, पीड़ित व्यक्ति को शौचालय (Toilet) नहीं जाने दिया गया और उसे डीएम के दफ्तर के बाहर ही पेशाब (Urinating outside the DM's office) करने के लिए मजबूर किया गया।
चंद्रशेखर आजाद का विरोध:
चंद्रशेखर आजाद ने इस घटना पर गहरी आपत्ति (Strong objection) जताते हुए कहा कि यह अधिकारियों (Officials) की संवेदनहीनता (Insensitivity) और जातिवादी सोच (Casteist mindset) को दर्शाता है। उन्होंने मांग की कि संबंधित अधिकारियों (Officials) के खिलाफ गंभीर धाराओं (Serious sections) के तहत FIR (एफ.आई.आर) दर्ज की जानी चाहिए और उन्हें गिरफ्तार (Arrest) किया जाना चाहिए। आजाद ने इसे मानवाधिकारों (Human rights) का घोर उल्लंघन बताया।
आगे की रणनीति:
भीम आर्मी चीफ ने इस मामले में प्रदर्शन (Protest) करने और पीड़ित (Victim) को न्याय दिलाने की चेतावनी (Warning) दी है। उनका कहना है कि अगर जल्द ही सख्त कार्रवाई (Strict action) नहीं हुई, तो वे सड़क पर उतरकर आंदोलन (Protest) करने से पीछे नहीं हटेंगे।
'दलित उत्पीड़न' का आरोप:
यह घटना उत्तर प्रदेश में दलित उत्पीड़न (Dalit oppression) और जातिगत भेदभाव (Caste discrimination) के मुद्दे को एक बार फिर सुर्खियों में ले आई है। चंद्रशेखर आजाद लगातार ऐसे मामलों को उठाते रहे हैं और पीड़ितों के अधिकारों के लिए आवाज बुलंद करते रहे हैं।
इस 'पेशाब कांड' को लेकर प्रशासन (Administration) पर भी सवालों के घेरे में है। देखना यह होगा कि सरकार और स्थानीय प्रशासन इस संवेदनशील मामले पर क्या कार्रवाई (Action) करते हैं और पीड़ित को न्याय मिल पाता है या नहीं।
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