Lord Shiva : सावन 2025 में जानें महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के अद्भुत रहस्य और पौराणिक कथा

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News India Live, Digital Desk: Lord Shiva :  भोलेनाथ की भक्ति का पवित्र महीना सावन जल्द ही प्रारंभ होने वाला है और इस दौरान भगवान शिव के ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का विशेष महत्व है। इन्हीं पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक है उज्जैन का श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, जिसे पृथ्वी पर मृत्युलोक के एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग होने का गौरव प्राप्त है। इसकी यह अनोखी विशेषता ही इसे अन्य ज्योतिर्लिंगों से भिन्न और अत्यंत रहस्यमयी बनाती है, और यहीं से जुड़ी हैं कई अद्भुत कहानियाँ व गुप्त रहस्य।

महाकाल मंदिर उज्जैन, मध्यप्रदेश में क्षिप्रा नदी के किनारे स्थित है। पुराणों में बताया गया है कि दक्षिण दिशा को मृत्यु की दिशा माना जाता है, और जब शिव दक्षिणमुखी रूप में विराजते हैं, तो इसका अर्थ होता है कि वे अकाल मृत्यु और भय से अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। तांत्रिक साधनाओं में भी दक्षिणमुखी मूर्तियों और मंदिरों का विशेष महत्व होता है। महाकालेश्वर के दर्शन मात्र से ही भक्त को मृत्युभय से मुक्ति मिल जाती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।

इस पावन धाम से एक पौराणिक कथा जुड़ी है। एक समय की बात है, उज्जैन में राजा चंद्रसेन का राज्य था जो भगवान शिव के अनन्य भक्त थे। उन्हें भगवान शिव से एक चिंतामणि रत्न प्राप्त हुआ था। पास के ही पर्वत पर दूषण नाम का एक भयानक राक्षस था, जो प्रजा पर बहुत अत्याचार करता था। दूषण को वरदान था कि कोई हथियार उसे हानि नहीं पहुँचा सकता। उसके अत्याचारों से त्रस्त होकर उज्जैन की प्रजा ने भगवान शिव से प्रार्थना की। उन्हीं में एक बालक गोपाल भी था, जिसने मंदिर में भगवान शिव से अपने राज्य को बचाने की मार्मिक विनती की। भक्तों की पुकार सुनकर भगवान शिव स्वयं महाकाल के रूप में धरती पर प्रकट हुए, उन्होंने एक क्षण में दूषण का संहार किया और समस्त उज्जैनवासियों को भयमुक्त किया। भक्तों ने महादेव से वहीं विराजमान रहने की विनती की ताकि वे सदा उनकी रक्षा कर सकें। भक्तों की प्रार्थना पर भगवान शिव उज्जैन में ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए, और तभी से उन्हें महाकालेश्वर के नाम से पूजा जाता है, जो उज्जैन के संरक्षक भी हैं।

महाकालेश्वर मंदिर तीन खंडों में बना हुआ है। सबसे नीचे भगवान महाकालेश्वर, उनके ऊपर ओंकारेश्वर और सबसे ऊपर नागचंद्रेश्वर विराजते हैं। नागचंद्रेश्वर के दर्शन केवल नागपंचमी के दिन वर्ष में एक बार होते हैं। महाकालेश्वर की भस्म आरती विश्व प्रसिद्ध है, जहाँ भगवान का श्रृंगार जीवित चिता की भस्म से किया जाता है, जो पूरी दुनिया में सिर्फ यहीं होता है। मान्यता है कि सावन के पवित्र महीने में महाकालेश्वर के दर्शन करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और वह जीवन-मरण के बंधन से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त होता है। यह पावन धाम हर श्रद्धालु को अलौकिक शांति और ऊर्जा प्रदान करता है।

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