Mental Health : अकेलापन एक साइलेंट किलर,WHO की चेतावनी ने दुनिया को किया सतर्क
News India Live, Digital Desk: Loneliness : आज के आधुनिक दौर में जब दुनिया पहले से कहीं अधिक कनेक्टेड महसूस करती है, तो चौंकाने वाला विरोधाभास यह है कि अकेलापन एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट बनकर उभर रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में 'अकेलेपन को एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरा' बताते हुए दुनिया भर के देशों को आगाह किया है। यह 'साइलेंट किलर' न केवल मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर दुष्प्रभाव डालता है, जो जानलेवा साबित हो सकते हैं।
डब्ल्यूएचओ की यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब विभिन्न शोधों में अकेलापन और सामाजिक अलगाव के नकारात्मक प्रभावों की पुष्टि हुई है। अकेलेपन से जूझ रहे व्यक्ति अवसाद, चिंता और तनाव जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित होते हैं। यह उनके संज्ञानात्मक क्षमताओं को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे एकाग्रता और निर्णय लेने की क्षमता कम हो जाती है। यह दुखद है कि अक्सर इस समस्या को पहचानना और इसका समाधान खोजना मुश्किल होता है क्योंकि लोग अपनी इस भावना को साझा करने में झिझकते हैं।
हालांकि, मानसिक स्वास्थ्य से इतर, अकेलेपन का शारीरिक स्वास्थ्य पर भी सीधा और गंभीर प्रभाव पड़ता है। डब्ल्यूएचओ ने इसे तंबाकू के अत्यधिक उपयोग या मोटापे के समान ही जोखिम भरा बताया है। शोधों से पता चला है कि अकेलापन हृदय रोग, स्ट्रोक, मधुमेह और यहां तक कि अल्जाइमर रोग जैसी पुरानी बीमारियों के खतरे को भी बढ़ा सकता है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी कमजोर कर देता है, जिससे व्यक्ति संक्रमणों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। इसके दीर्घकालिक प्रभावों में समय से पहले मृत्यु का जोखिम भी शामिल है।
वैश्विक महामारी COVID-19 ने अकेलेपन की समस्या को और गहरा कर दिया है, क्योंकि लॉकडाउन, सोशल डिस्टेंसिंग और घर से काम करने की बाध्यता ने लोगों को एक-दूसरे से दूर कर दिया। इससे सामाजिक संपर्क में कमी आई और डिजिटल कनेक्शन के बावजूद वास्तविक मानवीय संपर्क की कमी ने कई लोगों को अकेलापन महसूस कराया।
डब्ल्यूएचओ ने इस गंभीर खतरे से निपटने के लिए सदस्य देशों से ठोस कदम उठाने का आग्रह किया है। इसमें सामाजिक संपर्क को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रमों, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में सुधार और समुदायों में समर्थन नेटवर्क बनाने जैसे उपाय शामिल हैं। यह व्यक्तियों, समुदायों और सरकारों के लिए एक चेतावनी है कि हमें सामाजिक जुड़ाव और एक-दूसरे के प्रति संवेदनशीलता को प्राथमिकता देनी होगी ताकि इस 'साइलेंट महामारी' का मुकाबला किया जा सके और एक स्वस्थ तथा जुड़े हुए समाज का निर्माण किया जा सके। अकेलेपन की समस्या सिर्फ कुछ व्यक्तियों तक सीमित नहीं है, यह एक सामूहिक चुनौती है जिसका समाधान सामूहिक प्रयासों से ही संभव है।
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