एजेंसी या ठेके पर काम करते हैं? जानिए UP में आपकी पोस्ट की सरकारी सैलरी कितनी है

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अगर आप भी उत्तर प्रदेश के किसी सरकारी विभाग में आउटसोर्स यानी 'ठेके' पर काम करते हैं, तो यह खबर आपके लिए बहुत ज्यादा जरूरी है। अक्सर आउटसोर्स कर्मचारियों की सबसे बड़ी चिंता और शिकायत यही होती है कि उन्हें यह पता ही नहीं होता कि सरकार उनकी पोस्ट के लिए असल में कितनी सैलरी तय करती है, और ठेकेदार या एजेंसी उन्हें कितने पैसे दे रही है।

कई बार एजेंसियां कर्मचारियों के हक का पैसा भी खा जाती हैं और उन्हें पता तक नहीं चलता। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। आप खुद चेक कर सकते हैं कि आपकी योग्यता और काम के हिसाब से सरकार ने आपके लिए कितनी न्यूनतम सैलरी तय की है, ताकि कोई भी आपको कम पैसे देकर आपका शोषण न कर सके।

चलिए, आसान भाषा में समझते हैं सैलरी का पूरा गणित:

उत्तर प्रदेश सरकार काम और योग्यता के आधार पर आउटसोर्स कर्मचारियों को मुख्य रूप से चार श्रेणियों में बांटती है। हर श्रेणी के लिए एक न्यूनतम सैलरी तय की गई है।

1. अकुशल कामगार (Unskilled)
इस श्रेणी में वे कर्मचारी आते हैं जिनके काम के लिए किसी खास ट्रेनिंग की जरूरत नहीं होती।

  • उदाहरण: चपरासी, चौकीदार, माली, हेल्पर, सफाई कर्मचारी आदि।
  • इन पदों के लिए सरकार द्वारा तय की गई सैलरी होती है, जिसमें से EPF और ESI कटने के बाद पैसा आपके खाते में आता है।

2. अर्ध-कुशल कामगार (Semi-skilled)
इस श्रेणी में वे कर्मचारी आते हैं जिन्हें अपने काम का थोड़ा-बहुत अनुभव और हुनर होता है।

  • उदाहरण: ड्राइवर, इलेक्ट्रीशियन हेल्पर, प्लंबर हेल्पर, आदि।
  • इनकी सैलरी अकुशल कर्मचारियों से थोड़ी ज्यादा होती है।

3. कुशल कामगार (Skilled)
ये वो कर्मचारी होते हैं जिन्हें अपने काम में महारत हासिल होती है या उनके पास कोई खास सर्टिफिकेट/डिप्लोमा होता है।

  • उदाहरण: कंप्यूटर ऑपरेटर, स्टेनोग्राफर, कुशल कारीगर, नर्स आदि।
  • इनकी सैलरी और भी बेहतर होती है।

4. उच्च कुशल कामगार (Highly Skilled/Graduates)
इस श्रेणी में आमतौर पर ग्रेजुएट या उससे ऊपर की योग्यता वाले कर्मचारी आते हैं, जो किसी विशेष पद पर काम करते हैं।

  • उदाहरण: अकाउंटेंट, जूनियर इंजीनियर (डिप्लोमा), ऑफिस असिस्टेंट (ग्रेजुएट) आदि।
  • इनकी सैलरी सबसे ज्यादा होती है।

ध्यान दें: EPF और ESI आपका हक़ है!
आपकी कुल सैलरी में से कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) और कर्मचारी राज्य बीमा (ESI) का पैसा काटना कानूनी तौर पर अनिवार्य है। यह पैसा आपके ही भविष्य के लिए होता है। अगर आपका ठेकेदार यह पैसा नहीं काट रहा है या जमा नहीं कर रहा है, तो वह कानून का उल्लंघन कर रहा है।

तो अगली बार जब आपको सैलरी मिले, तो अपनी सैलरी स्लिप को ध्यान से देखें और यह सुनिश्चित करें कि आपको आपकी योग्यता के हिसाब से सही वेतन मिल रहा है या नहीं। यह आपका अधिकार है, इसके बारे में जागरूक बनें।

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