Kidney Disease: जब डायलिसिस या ट्रांसप्लांट ही बन जाते हैं जीवन का आख़िरी सहारा

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News India Live, Digital Desk: Kidney Disease: हमारे शरीर में गुर्दे यानी किडनी दो छोटे लेकिन बेहद महत्वपूर्ण अंग हैं, जो रक्त को शुद्ध करने, शरीर से अतिरिक्त पानी और ज़हरीले पदार्थों को बाहर निकालने का काम करते हैं। वे ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करते हैं और हड्डियों के स्वास्थ्य में भी अहम भूमिका निभाते हैं। लेकिन जब ये पूरी तरह से अपना काम करना बंद कर देती हैं, तो इसे एंड-स्टेज किडनी डिजीज (ESKD) यानी किडनी रोग का अंतिम चरण कहा जाता है, जो जीवन के लिए एक गंभीर ख़तरा है।

जब किडनी इस अंतिम पड़ाव पर पहुँच जाती है, तो शरीर से ज़हरीले पदार्थों का सही तरीके से निष्कासन नहीं हो पाता। ये विषैले पदार्थ शरीर में जमा होने लगते हैं, जिससे विभिन्न अंगों पर बुरा असर पड़ता है और स्वास्थ्य तेज़ी से बिगड़ने लगता है। ऐसे में मरीज़ को कई तरह के लक्षणों का सामना करना पड़ता है। उसे हर समय बहुत ज़्यादा थकान महसूस हो सकती है, शरीर के कई हिस्सों में सूजन (ख़ासकर पैरों, एड़ियों और चेहरे पर) दिखाई दे सकती है, पेशाब का बनना कम हो सकता है या पेशाब की आदतों में बदलाव आ सकता है, भूख कम लग सकती है, मितली या उल्टी की समस्या हो सकती है, मांसपेशियों में कमज़ोरी और ऐंठन हो सकती है, और नींद में भी परेशानी आ सकती है। गंभीर मामलों में साँस लेने में दिक्कत, सीने में दर्द और त्वचा में खुजली जैसी समस्याएँ भी सामने आती हैं।

इस गंभीर बीमारी के पीछे कई मुख्य कारण हो सकते हैं, जिनमें सबसे प्रमुख है लंबे समय से अनियंत्रित मधुमेह यानी डायबिटीज और उच्च रक्तचाप। इसके अलावा, पॉलीसिस्टिक किडनी रोग, किडनी में बार-बार पथरी का बनना, ऑटोइम्यून डिजीज और कुछ खास दवाओं का लंबे समय तक इस्तेमाल भी किडनी फेलियर का कारण बन सकता है।

हालांकि यह एक गंभीर स्थिति है, पर मेडिकल साइंस में इससे निपटने के लिए दो मुख्य रास्ते उपलब्ध हैं, जो मरीज़ को नया जीवन दे सकते हैं: डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट। डायलिसिस एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें मशीन के ज़रिये खून को फिल्टर करके शरीर से अतिरिक्त तरल पदार्थ और विषैले पदार्थों को बाहर निकाला जाता है। इसके दो मुख्य प्रकार हैं: हेमोडायलिसिस, जिसमें रक्त को मशीन के ज़रिये शरीर के बाहर शुद्ध किया जाता है, और पेरिटोनियल डायलिसिस, जिसमें पेट की अंदरूनी परत का उपयोग करके रक्त को शुद्ध किया जाता है। डायलिसिस जीवन-रक्षक प्रक्रिया है, लेकिन यह एक स्थायी इलाज नहीं, बल्कि जीवन को बनाए रखने का एक तरीका है।

वहीं, दूसरा और अक्सर पसंदीदा विकल्प किडनी ट्रांसप्लांट है। इसे अंतिम चरण की किडनी रोग का एकमात्र 'इलाज' माना जा सकता है। इसमें एक स्वस्थ किडनी (मृत या जीवित डोनर से प्राप्त) को मरीज़ के शरीर में प्रत्यारोपित किया जाता है। एक सफल ट्रांसप्लांट मरीज़ को सामान्य जीवन जीने में मदद कर सकता है और डायलिसिस की नियमित ज़रूरत को खत्म कर देता है। इसके बावजूद, एक उपयुक्त डोनर मिलना, ट्रांसप्लांट के बाद शरीर द्वारा नई किडनी को अस्वीकार (रिजेक्ट) करने का जोखिम और जीवन भर दवाएं (इम्यूनोसप्रेसेंट) लेना इसकी बड़ी चुनौतियाँ हैं।

कुल मिलाकर, एंड-स्टेज किडनी डिजीज एक जानलेवा बीमारी है, जिसके लिए शीघ्र निदान और उचित उपचार ज़रूरी है। इन दोनों ही विकल्पों (डायलिसिस या ट्रांसप्लांट) का चुनाव मरीज़ की स्वास्थ्य स्थिति, उम्र, और अन्य कारकों पर निर्भर करता है, जिसे चिकित्सक के परामर्श से तय किया जाता है।

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