मुंबई से दिल्ली का किराया, या विदेश की ट्रिप? एयर इंडिया की इस हरकत पर केसी त्यागी ने सिस्टम को लताड़ा
News India Live, Digital Desk : हम और आप अक्सर शिकायत करते हैं कि हवाई जहाज़ का सफ़र अब "हवाई चप्पल" वालों के बस की बात नहीं रही। त्यौहार हो या कोई इमरजेंसी, एयरलाइन्स टिकट के दाम ऐसे बढ़ाती हैं जैसे कोई लॉटरी लगी हो। लेकिन जब यही "लूट" देश के किसी बड़े नेता या उनके परिवार के साथ हो, तब यह मुद्दा सुर्ख़ियों में आता है।
ताज़ा मामला जेडीयू (JD-U) के वरिष्ठ नेता और बेबाक वक्ता केसी त्यागी (KC Tyagi) से जुड़ा है। उन्होंने एयरलाइन्स की मनमानी पर ऐसा गुस्सा निकाला है कि सोशल मीडिया पर हर कोई उनकी वाह-वाह कर रहा है।
आखिर हुआ क्या था?
केसी त्यागी ने बताया कि उनकी बेटी को मुंबई से दिल्ली आना था। वजह कोई घूमने-फिरने की नहीं, बल्कि बेहद दुखद थी। परिवार में किसी की मौत हो गई थी और बेटी का जल्द पहुंचना ज़रूरी था। लेकिन जब टिकट बुक करने की बारी आई, तो एयर इंडिया (Air India) का किराया देखकर उनके होश उड़ गए।
मुंबई से दिल्ली की एक साधारण इकोनॉमी क्लास की टिकट के लिए उनसे 41,000 रुपये वसूले गए। सोचिए जरा! यह वही रूट है जहां आम दिनों में 5 से 8 हज़ार रुपये लगते हैं। 41 हज़ार रुपये में तो शायद इंसान विदेश घूमकर आ जाए!
त्यागी जी ने लगाई क्लास
इस वाकये के बाद केसी त्यागी चुप नहीं बैठे। उन्होंने अपनी भड़ास DGCA (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) और सरकार की नीतियों पर निकाली। उनका कहना एकदम वाजिब था कि यह "किराया" नहीं, बल्कि "डकैती" (Predatory Pricing) है।
उन्होंने सख्त लहज़े में कहा कि जब एयर इंडिया सरकारी थी, तब एक कंट्रोल रहता था। लेकिन जब से इसका निजीकरण (Privatization) हुआ है और टाटा ने कमान संभाली है, क्या इन पर अब किसी का लगाम नहीं है?
यह सिर्फ़ एक नेता की नहीं, हम सब की कहानी है
त्यागी जी का गुस्सा इसलिए जायज़ है क्योंकि यह किसी के साथ भी हो सकता है। मान लीजिये किसी के घर में मेडिकल इमरजेंसी है और उसे तुरंत फ्लाइट लेनी पड़े, तो क्या एयरलाइन्स उसकी मजबूरी का ऐसा फायदा उठाएंगी? डीजीसीए का काम है कि किराए पर एक 'कैप' (ऊपरी सीमा) लगाए, ताकि कंपनियाँ मनमानी न कर सकें। लेकिन हकीकत यह है कि जब मांग बढ़ती है, तो टिकट के दाम आसमान छूने लगते हैं।
सवाल अब भी वही है
केसी त्यागी तो फिर भी सक्षम हैं, उन्होंने पैसे दे दिए और आवाज़ भी उठा दी। लेकिन उस मध्यम वर्गीय परिवार का क्या, जो इमरजेंसी में इतना भारी-भरकम किराया देने की हालत में नहीं होता? उम्मीद है कि एक बड़े राजनेता के आवाज़ उठाने के बाद शायद कुंभकर्णीय नींद में सोया सिस्टम जागेगा और एयरलाइन्स की इस 'लूट' पर कोई लगाम लगेगी।
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