Jharkhand liquor scam: 90 दिन में चार्जशीट दाखिल नहीं, आरोपियों को मिली डिफ़ॉल्ट जमानत
News India Live, Digital Desk: झारखंड शराब घोटाला मामले में केंद्रीय एजेंसियों को एक बड़ा झटका लगा है, क्योंकि मामले में 90 दिनों की समय-सीमा बीत जाने के बाद भी चार्जशीट दाखिल नहीं की जा सकी है. इस देरी के कारण उन सभी आरोपियों को, जिन्हें अब तक गिरफ्तार किया गया था, डिफ़ॉल्ट जमानत मिल गई है, जिससे वे न्यायिक हिरासत से बाहर आ गए हैं. यह विकास राज्य में बड़े भ्रष्टाचार के मामलों की जांच की गति और गंभीरता पर सवाल खड़ा करता है.
झारखंड शराब घोटाला मामले में महत्वपूर्ण घटनाक्रम:
- चार्जशीट दाखिल करने में विफलता: जांच एजेंसी 90 दिनों के भीतर आरोपपत्र दाखिल करने में विफल रही है, जो कानूनी प्रक्रिया में एक गंभीर चूक है. दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के अनुसार, यदि जांच एजेंसी एक निश्चित समय-सीमा (ज्यादातर मामलों में 90 दिन) के भीतर चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाती है, तो आरोपी को 'डिफ़ॉल्ट जमानत' का अधिकार मिल जाता है.
- आरोपियों को जमानत: इस विफलता के परिणामस्वरूप, गिरफ्तार किए गए सभी आरोपी डिफॉल्ट जमानत पर रिहा हो गए हैं. इनमें प्रमुख व्यवसायिक व्यक्ति और कथित तौर पर कुछ राजनेता भी शामिल हो सकते हैं.
- जांच पर सवाल: यह घटना जांच एजेंसियों की दक्षता और शराब घोटाले जैसे उच्च-प्रोफाइल भ्रष्टाचार के मामलों को संभालने की उनकी क्षमता पर सवाल उठाती है. इससे भ्रष्टाचार विरोधी प्रयासों को भी झटका लगा है.
- बड़े पैमाने का घोटाला: यह घोटाला राज्य के शराब व्यवसाय में अनियमितताओं और अवैध धन के लेन-देन से संबंधित है, जिसमें कई करोड़ रुपये के वित्तीय हेरफेर का आरोप है.
- राजनीतिक प्रतिक्रिया: इस घटना के बाद विपक्षी दलों द्वारा राज्य सरकार और केंद्रीय जांच एजेंसियों पर हमला तेज होने की संभावना है, क्योंकि यह घोटाला पहले ही राजनीतिक रूप से संवेदनशील बन चुका है.
जांच एजेंसियां अब चार्जशीट दाखिल करने के लिए नए सिरे से प्रयास करेंगी, लेकिन आरोपियों को मिली जमानत से मामला और जटिल हो सकता है. इस घटना से राज्य में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में एक नई बहस छिड़ गई है.
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