Jharkhand Bypoll : घाटशिला उपचुनाव का घमासान ,किसके सिर सजेगा ताज, महिलाएं और मइयां सम्मान योजना तय करेंगी किस्मत!

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News India Live, Digital Desk: झारखंड की घाटशिला विधानसभा सीट पर उपचुनाव का बिगुल बज चुका है और इसके साथ ही सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. JMM विधायक रामदास सोरेन के निधन के बाद खाली हुई इस सीट पर जीत हासिल करना सभी पार्टियों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है. लेकिन इस चुनावी जंग में जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा, इसका फैसला घाटशिला की महिला वोटर और राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी 'मइयां सम्मान योजना' करने वाली हैं.

क्यों महिलाएं हैं 'किंगमेकर'?

घाटशिला विधानसभा क्षेत्र के चुनावी आंकड़ों पर नजर डालें तो यहां महिला मतदाताओं की भूमिका बेहद अहम हो जाती है. इस सीट पर पुरुष मतदाताओं (लगभग 1.35 लाख) के मुकाबले महिला मतदाताओं (लगभग 1.38 लाख) की संख्या थोड़ी ज्यादा है. लेकिन बात सिर्फ संख्या की नहीं है. पिछले कुछ चुनावों में यह ट्रेंड देखा गया है कि महिलाएं वोट देने के लिए पुरुषों से ज्यादा उत्साह दिखाती हैं. उनका वोटिंग प्रतिशत अक्सर पुरुषों से बेहतर रहता है. यही वजह है कि JMM से लेकर BJP और AJSU तक, सभी पार्टियां महिला वोटरों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं.

क्या 'मइयां सम्मान योजना' बनेगी JMM का ब्रह्मास्त्र?

इस उपचुनाव में JMM के लिए सबसे बड़ा तुरुप का इक्का 'आंगनबाड़ी चलो, मइयां सम्मान योजना' साबित हो सकती है. इस योजना के तहत सरकार आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिए गर्भवती और नई मांओं को पौष्टिक आहार, स्वास्थ्य जांच और आर्थिक मदद मुहैया कराती है. ग्रामीण इलाकों, खासकर आदिवासी बहुल क्षेत्रों में इस योजना का सीधा फायदा महिलाओं को मिल रहा है.

JMM को उम्मीद है कि इस योजना के लाभार्थी महिलाएं उनके पक्ष में वोट करेंगी. पार्टी नेता लगातार अपने प्रचार में इस योजना का जिक्र कर रहे हैं और इसे महिलाओं के सम्मान और स्वास्थ्य से जोड़कर पेश कर रहे हैं.

क्या हैं विपक्ष के दांव?

वहीं, दूसरी तरफ विपक्ष (BJP और AJSU) हेमंत सोरेन सरकार की दूसरी योजनाओं और स्थानीय मुद्दों को लेकर मैदान में है. वे कानून-व्यवस्था, भ्रष्टाचार और स्थानीय विकास के मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं. विपक्ष की नजर भी महिला वोटरों पर है और वे यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि सिर्फ एक योजना से क्षेत्र का विकास नहीं हो सकता.

एक बात तो तय है, घाटशिला का चुनावी ऊंट किस करवट बैठेगा, यह काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगा कि महिलाएं किस पर अपना भरोसा जताती हैं. क्या वे 'मइयां सम्मान' के बदले JMM को सम्मान देंगी, या फिर बदलाव के लिए वोट करेंगी? इसका जवाब तो चुनावी नतीजे ही देंगे.

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