Jhalawar school Accident: किसान का निस्वार्थ बलिदान, स्कूल बनाया और खुद रहता है झोपड़ी में
News India Live, Digital Desk: Jhalawar school Accident: राजस्थान के झालावाड़ में एक किसान ने अपनी बेटी की जान बचाने के बाद स्कूल बनवाने के लिए अपने जीवन भर की जमापूंजी दान कर दी, लेकिन आज भी खुद झोपड़ी में रह रहा है. यह एक प्रेरणादायक कहानी है जो निस्वार्थ सेवा, शिक्षा के प्रति समर्पण और सामुदायिक विकास के लिए एक व्यक्ति के असाधारण योगदान को दर्शाती है.
किसान के बलिदान की कहानी:
प्रेरणादायक बलिदान: झालावाड़ के एक किसान की बेटी को सांप ने काट लिया था, और समय पर उपचार न मिलने के कारण उसे बचाने के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ा था. इस घटना से प्रेरित होकर, किसान ने यह सुनिश्चित करने का संकल्प लिया कि गाँव के अन्य बच्चों को अच्छी शिक्षा और सुरक्षित वातावरण मिल सके, और उन्होंने स्कूल बनवाने का फैसला किया.
शिक्षा के प्रति समर्पण: उन्होंने स्कूल भवन के निर्माण के लिए अपनी पूरी बचत दान कर दी, जो गाँव के बच्चों के लिए एक महत्वपूर्ण शिक्षा केंद्र बन गया. इस कदम से क्षेत्र में साक्षरता दर को बढ़ाने में मदद मिली और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच मिली.
निजी कठिनाई और सामुदायिक भावना: स्कूल के लिए अपना सब कुछ दान करने के बावजूद, किसान ने स्वयं झोपड़ी में जीवन बिताना पसंद किया. यह उनका अपनी बेटी की शिक्षा और अन्य बच्चों के भविष्य के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
राज्यव्यापी मान्यता: हालांकि किसान को अभी भी संघर्ष करना पड़ रहा है, उनके इस नेक कार्य को समुदाय और आसपास के क्षेत्रों में व्यापक रूप से सराहा गया है. उनकी कहानी एक अनुकरणीय उदाहरण है कि कैसे एक व्यक्ति भी बड़े बदलाव ला सकता है.
यह घटना दर्शाती है कि समाज में अभी भी ऐसे निस्वार्थ लोग हैं जो व्यक्तिगत त्याग कर दूसरों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाते हैं. राजस्थान सरकार और स्थानीय अधिकारियों को ऐसे परोपकारी व्यक्तियों की पहचान कर उनका सम्मान करना चाहिए और उनकी कठिनाइयों को कम करने में मदद करनी चाहिए.
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