ITR Deadline Extension: बाढ़ और आपदा के बीच क्या सरकार देगी राहत? तारीख बढ़ाने की मांग हुई तेज

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ITR Deadline Extension: इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने का सीजन अपने चरम पर है और करोड़ों वेतनभोगी और पेशेवर करदाता (Taxpayers) अपनी आखिरी तारीख, जो आमतौर पर 31 जुलाई होती है, से पहले अपना रिटर्न दाखिल करने की जद्दोजहद में लगे हैं। लेकिन इस साल, कहानी में एक बड़ा और गंभीर मोड़ आ गया है। देश के कई राज्यों, विशेष रूप से उत्तर भारत में, आई विनाशकारी बाढ़ और प्राकृतिक आपदा ने लाखों लोगों के जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है, जिसके कारण अब जोर-शोर से यह मांग उठने लगी है कि ITR फाइल करने की आखिरी तारीख को आगे बढ़ाया जाए।

यह मांग सिर्फ आम नागरिक ही नहीं, बल्कि चार्टर्ड अकाउंटेंट्स (CAs) और टैक्स पेशेवरों के संगठन भी कर रहे हैं, जिनका कहना है कि इन अभूतपूर्व परिस्थितियों में समय पर रिटर्न फाइल करना लगभग असंभव है। तो क्या केंद्र सरकार और आयकर विभाग इस बार करदाताओं को राहत देंगे? क्या डेडलाइन एक बार फिर बढ़ेगी? आइए, इस पूरी स्थिति का विस्तार से विश्लेषण करते है।

क्यों हो रही है ITR की तारीख बढ़ाने की मांग? (बाढ़ बनी सबसे बड़ी वजह)

इस साल तारीख बढ़ाने की मांग के पीछे का कारण इनकम टैक्स पोर्टल की खराबी नहीं, बल्कि एक गंभीर मानवीय संकट है।

इन सभी मानवीय कारणों का हवाला देते हुए, विभिन्न संगठनों , वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर डेडलाइन को कम से कम एक महीने के लिए, यानी 31 अगस्त या उससे आगे तक बढ़ाने का आग्रह किया है।

क्या हैं पिछले ट्रेंड्स और सरकार का क्या है रुख?

डेडलाइन बढ़ेगी या नहीं, यह जानने के लिए हमें पिछले कुछ वर्षों के पैटर्न को समझना होगा।

अगर नहीं बढ़ी तारीख तो क्या होगा? (जान लें ये गंभीर परिणाम)

जब तक सरकार की ओर से कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हो जाती, आपको यह मानकर चलना चाहिए कि अंतिम तिथि नहीं बढ़ेगी। अगर आप समय सीमा से चूक गए, तो आपको इन गंभीर वित्तीय परिणामों का सामना करना पड़ सकता है:

आपको क्या करना चाहिए?

किसी भी संभावित विस्तार की खबर सिर्फ एक संभावना है, गारंटी नहीं। इसलिए, सबसे समझदारी भरा कदम यही है:

आखिरी फैसला वित्त मंत्रालय के हाथ में है, लेकिन एक जिम्मेदार करदाता के रूप में, अपना काम समय पर पूरा करना ही सबसे अच्छा और सुरक्षित विकल्प है।

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