ईरान का सामरिक कदम: रूस्तम के देश में S-400 का पहला ऑपरेशनल टेस्ट, इजरायल-अमेरिका के लिए कड़ा संदेश
तेहरान: इजरायल और ईरान के बीच करीब एक महीने पहले आसमान में थमी गोलियों के शोर के बाद, इसफ़हान के रेगिस्तानी मैदानों की गहराइयों में कुछ हलचल हुई है। 26 जुलाई को, आम लोगों की नज़रों से बहुत दूर और मीडिया की चकाचौंध से कोसों दूर, ईरानी सैन्य इकाइयों ने कथित तौर पर रूसी निर्मित S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली का अपना पहला ऑपरेशनल परीक्षण (first operational test) किया। इसफ़हान के बाहर यह स्थान कोई संयोग नहीं था; यह वही क्षेत्र है जहाँ कुछ हफ़्ते पहले ही इजरायली और अमेरिकी युद्धक विमानों ने ईरान की परमाणु सुविधाओं पर बमबारी की थी।
प्रथम रिपोर्ट और पुष्टिकरण: बिग बर्ड रडार की सक्रियता
स्थानीय रक्षा आउटलेट Birun.info ने सबसे पहले इस लॉन्च की रिपोर्टिंग की, जिसमें ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड (IRGC) से जुड़े अज्ञात स्रोतों का हवाला दिया गया। स्वतंत्र विश्लेषकों ने बाद में क्षेत्र में असामान्य रडार उत्सर्जन (unusual radar emissions) की पुष्टि की, जो S-400 के विशाल ट्रैकिंग नेटवर्क (tracking network) के अनुरूप थे। उन्होंने 'बिग बर्ड' रडार (Big Bird radar), जिसे आधिकारिक तौर पर 91N6E के नाम से जाना जाता है, के साथ-साथ सिस्टम की युद्ध-परीक्षित ग्रेव स्टोन एंगेजमेंट यूनिट (Grave Stone engagement unit) और कई मोबाइल लॉन्च पैड (mobile launchers) के संकेत पाए।
तेहरान का मौन, पर संदेश स्पष्ट: S-400 अब हकीकत है!
तेहरान ने हालांकि इस परीक्षण की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। लेकिन खाड़ी और उसके पार के सैन्य पर्यवेक्षकों (military observers) के लिए, इस संदेश को किसी कैप्शन की ज़रूरत नहीं थी। ईरान की धरती पर S-400 की मौजूदगी अब केवल एक काल्पनिक बात नहीं रही; यह एक वास्तविकता है। और यह इजरायली वायु सेना (Israeli Air Force) के जून के ऑपरेशन का एक सीधा जवाब है, जिसमें स्टील्थ F-35I जेट्स (stealth F-35I jets) ने कथित तौर पर ईरानी वायु रक्षा स्थलों (Iranian air defence sites) को पंगु बना दिया था, जिनमें से कुछ में तो पुराने रूसी S-300 सिस्टम भी तैनात थे।
'गेम चेंज': आसमान को 'बंद' करने की ईरान की कोशिश
खाड़ी-आधारित एक रक्षा विशेषज्ञ ने 'डिफेंस सिक्योरिटी एशिया' (Defence Security Asia) को बताया, "खेल बदल गया है। आप S-400 को तब तक बाहर नहीं निकालते जब तक कि आप दुनिया के सबसे उन्नत लड़ाकू विमानों (most advanced fighter jets) के लिए अपने आसमान को बंद नहीं करना चाहते। ईरान अब यही कर रहा है।" यह कदम ईरान के लिए एक महत्वपूर्ण सामरिक बदलाव का संकेत देता है, जो अपनी वायु रक्षा क्षमता को अभेद्य बनाने का प्रयास कर रहा है।
परीक्षण में इस्तेमाल की गई मिसाइल: 48N6E3 की मारक क्षमता
लीक हुई रिपोर्टों के अनुसार, परीक्षण में 48N6E3 इंटरसेप्टर मिसाइल (interceptor missile) का इस्तेमाल किया गया, जो 380 किमी तक दूर के लक्ष्यों को भेदने की क्षमता रखती है, जबकि इसकी सामान्य मारक क्षमता 250 किमी है। यह मॉडल रूस के एंटी-एयर मिसाइल (anti-air arsenal) शस्त्रागार में सबसे विश्वसनीय में से एक है और कलिनिनग्राद से क्रीमिया तक संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात S-400 बटालियन की रीढ़ है।
'यह सब क्यों?' : प्रतिष्ठा और निवारण का दांव
कुछ लोगों का मानना है कि यह कदम प्रतिष्ठा (reputation) का सवाल है। जून की बमबारी के बाद, विशेष रूप से जब इजरायली जेट्स ईरान के हवाई क्षेत्र में गहराई तक उड़े, तो ईरान के नेतृत्व को एक बड़ा झटका लगा था। इस 'चेहरे के नुकसान' (loss of face) की भरपाई की जानी थी। S-400, जिसे कभी केवल मॉस्को या नई दिल्ली की तस्वीरों में देखा जाता था, को अब सक्रिय किया जाना था।
बदला हुआ मंज़र: प्रतिरोध के नए निशान
इसफ़हान के पास, जहाँ कथित तौर पर मिसाइल उड़ी, परिदृश्य एक ऐसे टकराव के निशान लिए हुए है जो वास्तव में समाप्त नहीं हुआ है। आसमान भले ही शांत हो, लेकिन ज़मीन एक अलग कहानी कह रही है – नए रडार, नए लॉन्च पैड और अब, एक नया निवारक (new deterrence)।
इस प्रकार, बिना किसी आधिकारिक बयान या एक अस्पष्ट वीडियो के, एक मिसाइल परीक्षण ने मध्य पूर्व (Middle East) के ऊपर की रेखाओं को फिर से खींचा है। संदेश यह है कि तेहरान अपने आसमान को मजबूत कर रहा है। और अगली बार जब कोई ऊपर से दस्तक देगा, तो जवाब अपेक्षा से अधिक तेजी से आ सकता है।
--Advertisement--