Internet Speed Boost : कमजोर Wi-Fi का रोना हुआ बंद, अपने घर में ही Wi-Fi का जाल फैलाएं, ये हैं सबसे कारगर तरीके

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News India Live, Digital Desk:  Internet Speed Boost : आज के दौर में बिना तेज़ और अच्छे इंटरनेट के तो गुजारा ही नहीं. चाहे आप घर से काम कर रहे हों, बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हों या फैमिली एक साथ फ़िल्म देख रही हो, कमज़ोर Wi-Fi सिग्नल सारा मज़ा किरकिरा कर देता है. अक्सर हम देखते हैं कि घर के एक कोने में तो Wi-Fi बहुत तेज़ चलता है, लेकिन दूसरे कमरे में या बालकनी में पहुँचते ही सिग्नल कमजोर पड़ जाता है. इस समस्या को दूर करने के लिए हमारे पास दो मुख्य तरीके हैं: पहला है मेश राउटर (Mesh Router) और दूसरा है रेंज एक्सटेंडर या Wi-Fi बूस्टर (Range Extender/Wi-Fi Booster).

आइए समझते हैं कि ये दोनों कैसे काम करते हैं और आपके लिए सबसे अच्छा क्या रहेगा.

1. मेश Wi-Fi सिस्टम (Mesh Wi-Fi System):

मेश Wi-Fi सिस्टम दरअसल एक अकेला डिवाइस नहीं, बल्कि कई डिवाइस का एक नेटवर्क होता है. इसमें एक मुख्य राउटर होता है और इसके साथ कुछ 'नोड' या 'सैटेलाइट' डिवाइस होते हैं, जिन्हें आप अपने घर के अलग-अलग कोनों में लगाते हैं. ये सारे डिवाइस एक-दूसरे से और मुख्य राउटर से जुड़े होते हैं.

  • कैसे काम करता है? ये एक ही नेटवर्क नेम (SSID) पर काम करता है. यानी आप घर में कहीं भी जाएं, आपका फोन या लैपटॉप ऑटोमेटिकली सबसे मज़बूत सिग्नल वाले नोड से जुड़ जाता है. आपको बार-बार नेटवर्क बदलने की ज़रूरत नहीं पड़ती.
  • फ़ायदे:
    • बेहतरीन कवरेज: ये आपके पूरे घर में (चाहे कितना भी बड़ा हो) एक समान और तेज़ Wi-Fi सिग्नल पहुंचाता है.
    • तेज़ स्पीड: मेश सिस्टम आमतौर पर तेज़ और ज़्यादा भरोसेमंद स्पीड देते हैं क्योंकि वे कम रुकावट के साथ डेटा ट्रांसफर करते हैं.
    • सीमलैस अनुभव: नेटवर्क बदलते वक्त आपको पता भी नहीं चलता. एक कोने से दूसरे कोने में जाते ही आपका डिवाइस बिना रुके कनेक्ट रहता है.
    • देखभाल में आसान: इनकी सेटिंग करना आसान होता है और आप एक ही ऐप से पूरे नेटवर्क को मैनेज कर सकते हैं.
  • नुकसान:
    • आमतौर पर ये थोड़े महंगे होते हैं.

2. रेंज एक्सटेंडर या Wi-Fi बूस्टर (Range Extender or Wi-Fi Booster):

रेंज एक्सटेंडर या Wi-Fi बूस्टर, जिसे रिपीटर भी कहते हैं, आपके मौजूदा Wi-Fi सिग्नल को पकड़ता है और उसे आगे फैलाता है. यह आपके मेन राउटर से दूर उन जगहों पर सिग्नल पहुंचाता है, जहाँ पहले कम सिग्नल आता था.

  • कैसे काम करता है? ये आपके मौजूदा Wi-Fi नेटवर्क को "दोहराता" है. जैसे ही इसे प्लग इन किया जाता है, ये आपके राउटर से सिग्नल लेकर उसे बूस्ट करता है और फिर से आगे फैलाता है. अक्सर ये एक नया Wi-Fi नेटवर्क नाम (SSID) बनाते हैं.
  • फ़ायदे:
    • किफायती: मेश सिस्टम की तुलना में रेंज एक्सटेंडर काफी सस्ते होते हैं.
    • सेटअप में आसान: इन्हें लगाना और सेट करना बहुत ही आसान होता है.
  • नुकसान:
    • स्पीड कम हो सकती है: एक्सटेंडर अक्सर ओरिजिनल Wi-Fi की आधी स्पीड ही दे पाता है क्योंकि उसे सिग्नल को दो बार प्रोसेस करना पड़ता है.
    • अलग नेटवर्क: आमतौर पर, यह एक नया Wi-Fi नेटवर्क बनाता है (जैसे "MyWiFi_EXT"). आपको एक कोने से दूसरे कोने में जाते ही नेटवर्क मैन्युअल रूप से स्विच करना पड़ता है.
    • सीधा कवरेज: यह बस सिग्नल को "धक्का" देता है, जिससे पूरी तरह से सीमलैस कवरेज नहीं मिलता.

आपके लिए क्या बेहतर है?

  • मेश Wi-Fi सिस्टम कब लें:
    • अगर आपका घर बड़ा है (3BHK या उससे बड़ा, या मल्टी-स्टोरी)
    • अगर आपको पूरे घर में तेज़ और भरोसेमंद Wi-Fi स्पीड चाहिए.
    • अगर आपका बजट ज़्यादा है और आप बेस्ट परफॉर्मेंस चाहते हैं.
    • अगर आप चाहते हैं कि Wi-Fi अपने आप सबसे अच्छी कनेक्टिविटी से जुड़ता रहे.
  • रेंज एक्सटेंडर कब लें:
    • अगर आपका घर छोटा है और सिर्फ एक या दो कोनों में Wi-Fi की थोड़ी सी प्रॉब्लम है.
    • अगर आपका बजट कम है और आप सस्ता उपाय ढूंढ रहे हैं.
    • अगर आप सिर्फ़ Wi-Fi की पहुँच बढ़ाना चाहते हैं, स्पीड भले ही थोड़ी कम हो जाए.

कुल मिलाकर, अगर आप पूरे घर में तेज़ और एक समान Wi-Fi का अनुभव चाहते हैं, तो मेश Wi-Fi सिस्टम एक बेहतर निवेश है. लेकिन अगर आप सिर्फ़ एक या दो जगहों पर कमज़ोर सिग्नल को ठीक करना चाहते हैं और आपका बजट कम है, तो रेंज एक्सटेंडर भी काम कर सकता है. चुनाव आपका है, ज़रूरत और बजट के हिसाब से लें फैसला

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