50 लाख का बीमा और एक प्लास्टिक की 'लाश': जब कफ़न खुला तो उड़ गए सबके होश
शोक का माहौल अकसर खामोशी और आंसुओं से भरा होता है, लेकिन पश्चिमी यूपी के हापुड़ जिले के बृजघाट पर इस हफ्ते जो हुआ, उसे देखकर लोग तय नहीं कर पा रहे कि हंसें या हैरान हों। एक तरफ चिता सजी थी, चार लोग मातम मना रहे थे, लेकिन जब 'लाश' का कफ़न हटा, तो अंदर इंसान नहीं, बल्कि एक प्लास्टिक का पुतला निकला!
यह किसी क्राइम थ्रिलर वेब सीरीज की कहानी नहीं, बल्कि एक असली घटना है जिसने हापुड़ पुलिस के साथ-साथ वहां मौजूद हर शख्स को सन्न कर दिया।
कैसे खुला राज? श्मशान घाट पर ऐसे पलटी बाज़ी
गुरुवार की दोपहर एक HR नंबर वाली i20 कार बृजघाट पहुंची। कार से चार लोग उतरे, चेहरे पर गहरा दुख और कंधों पर एक शव (जो कफ़न में लिपटा था)। उन्होंने पंडित जी से बात की, लकड़ियाँ खरीदीं, घी का इंतजाम किया—सब कुछ बिल्कुल सामान्य लग रहा था। श्मशान के कर्मचारी नितिन को लगा कि ये लोग अपने किसी प्रियजन को खोने के गम में हैं।
लेकिन मामला तब गड़बड़ा गया जब ये लोग बहुत हड़बड़ी दिखाने लगे। हमारे समाज में रस्म है कि चिता को अग्नि देने से पहले मृतक का चेहरा आखिरी बार दिखाया जाता है। वहां मौजूद कुछ लोगों ने और पंडित ने कहा, "भाई, एक बार मुँह तो दिखा दो।"
ये चार 'शोक मनाने वाले' बार-बार मना करते रहे, बहाने बनाने लगे कि जल्दी करो। यहीं से शक गहरा गया। जब लोगों ने जिद्द करके कफ़न हटाया, तो वहां कोई इंसान नहीं था। कपड़ों के ढेर में एक पुतला लेटा हुआ था। यह देखते ही वहां हड़कंप मच गया।
असली खेल: 50 लाख का लालच
जैसे ही पोल खुली, भीड़ जमा हो गई और पुलिस को बुला लिया गया। मौके का फायदा उठाकर चार में से दो आरोपी तो भाग निकले, लेकिन दो—दिल्ली के कपड़ा व्यापारी कमल सोमानी और आशीष खुराना—धरे गए। उनकी कार की तलाशी ली गई तो वहां दो और पुतले मिले। यानी तैयारी पूरी थी!
पुलिस ने जब कमल सोमानी से पूछताछ की, तोते की तरह उसने सारा राज उगल दिया। कहानी कुछ यूं थी कि सोमानी पर 50 लाख रुपये का भारी कर्ज़ा था। इस कर्ज़ से छुटने के लिए उसने 'टाटा एआईए' (Tata AIA) से 50 लाख की इंश्योरेंस पॉलिसी ली थी। मजे की बात यह है कि उसने पॉलिसी अपने नाम पर नहीं, बल्कि अपने एक जानकार 'अंशुल' के नाम पर ली थी, जिसके दस्तावेज़ उसके पास रखे थे।
प्लान यह था: अंशुल की झूठी मौत दिखाना, श्मशान घाट से उसका डेथ सर्टिफिकेट बनवाना और फिर बीमा कंपनी से क्लेम के 50 लाख रुपये लेकर रफूचक्कर हो जाना।
अंशुल तो प्रयागराज में मजे में था!
इस ड्रामे का सबसे दिलचस्प हिस्सा तब आया जब पुलिस ने जांच के लिए उस 'मृतक' अंशुल को वीडियो कॉल की, जिसका कथित संस्कार हो रहा था। अंशुल ने कॉल उठाई और पुलिस को बताया कि वो तो प्रयागराज में अपने परिवार के साथ बिल्कुल सुरक्षित और खुश है। उसे भनक तक नहीं थी कि हापुड़ में कुछ लोग उसे 'मारकर' उसका बीमा खाने की फिराक में हैं।
फिलहाल, पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी और साजिश का मामला दर्ज कर लिया है। इंस्पेक्टर मनोज बाल्यान और उनकी टीम बाकी फरार आरोपियों को ढूंढ रही है। इस घटना ने एक बात तो साबित कर दी—लालच इंसान से कुछ भी करवा सकता है, यहाँ तक कि प्लास्टिक के पुतलों का अंतिम संस्कार भी!
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