भारत की सुपर मैग्नेट में बड़ी छलांग: आठ देशों से किए समझौते, चीन के लिए बुरी खबर

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भारत दुर्लभ-पृथ्वी चुंबक (rare earth magnets) के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मुकाम हासिल करने की राह पर है। हाल ही में, देश ने इस क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए आठ देशों के साथ महत्वपूर्ण सौदे किए हैं। यह कदम चीन के लिए एक बड़ी चुनौती पेश कर सकता है, जो वर्तमान में दुर्लभ-पृथ्वी चुंबकों के उत्पादन में वैश्विक नेता है।

ये सुपर मैग्नेट इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs), पवन टर्बाइनों और रक्षा प्रणालियों जैसे उच्च-तकनीकी उद्योगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। पहले भारत अपनी अधिकांश आवश्यकताओं के लिए चीन पर निर्भर था, लेकिन हालिया भू-राजनीतिक तनाव और चीन द्वारा निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंधों ने भारत को अपनी आपूर्ति श्रृंखला को सुरक्षित करने के लिए प्रेरित किया है।

इन अंतरराष्ट्रीय समझौतों के माध्यम से, भारत न केवल दुर्लभ-पृथ्वी चुंबकों की आपूर्ति सुनिश्चित करना चाहता है, बल्कि इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता भी हासिल करना चाहता है। इस दिशा में, भारत घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन और स्टॉकपाइलिंग जैसी रणनीतियों पर भी विचार कर रहा है। महिंद्रा एंड महिंद्रा और उनो मिंडा जैसी भारतीय कंपनियां भी स्थानीय स्तर पर दुर्लभ-पृथ्वी चुंबकों के उत्पादन में रुचि दिखा रही हैं।

यह पहल भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने और चीन पर अपनी निर्भरता कम करने में मदद करेगी। यह कदम उन सभी देशों के लिए चिंता का विषय है जो अपनी तकनीकी प्रगति के लिए दुर्लभ-पृथ्वी चुंबकों पर निर्भर हैं।

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