Indian politics : जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति बनने पर सियासत विपक्ष ने सरकार की मंशा पर उठाए सवाल
News India Live, Digital Desk: हाल ही में जगदीप धनखड़ ने भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली है, जो भारतीय गणराज्य में एक महत्वपूर्ण संवैधानिक पद है। इससे पहले, वह पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे थे। उनके उपराष्ट्रपति पद संभालने के साथ ही, उनकी राज्यपाल की भूमिका स्वतः समाप्त हो गई। इस बदलाव ने हालांकि एक नए सिरे से राजनीतिक चर्चा और बहस को जन्म दिया है, जिसमें विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार के इरादों पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
विपक्ष, विशेषकर कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य दलों ने इस पूरे घटनाक्रम को केंद्र द्वारा राज्यों के मामलों में दखल देने और संघीय ढांचे को कमजोर करने की एक बड़ी रणनीति के रूप में देखा है। उनका आरोप है कि सरकार, संवैधानिक पदों का इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए कर रही है और लोकतान्त्रिक संस्थाओं को कमजोर कर रही है। विपक्ष के नेताओं ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जगदीप धनखड़ का राज्यपाल पद से उपराष्ट्रपति पद पर जाना अपने आप में मुद्दा नहीं है, बल्कि इस प्रक्रिया के दौरान सरकार की तरफ से अपनाई गई कथित नीति और इरादे सवालों के घेरे में हैं।
विपक्षी नेताओं ने चिंता व्यक्त की है कि इस प्रकार की गतिविधियाँ देश के संवैधानिक लोकाचार और राज्यों के साथ केंद्र के संबंधों को कमजोर कर सकती हैं। वे केंद्र पर शक्ति के केंद्रीकरण का आरोप लगा रहे हैं और उनका मानना है कि सरकार का उद्देश्य लोकतांत्रिक संतुलन को बाधित करना है। यह विवाद भारतीय राजनीति में संवैधानिक पदों और राजनीतिक शक्तियों के बीच खींचतान की एक व्यापक तस्वीर पेश करता है, जहां हर कदम को राजनीतिक नजरिए से देखा और परखा जा रहा है। कुल मिलाकर, उपराष्ट्रपति पद पर जगदीप धनखड़ की नियुक्ति एक संवैधानिक प्रक्रिया है, लेकिन जिस प्रकार विपक्ष ने इस पर सरकार के खिलाफ अपनी भड़ास निकाली है, वह आने वाले समय में केंद्र-राज्य संबंधों और राजनीतिक माहौल में और गर्माहट पैदा कर सकती है।
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