Indian Cricket Team : चिंता मत कर, तू खेलेगा जब प्रैक्टिस के बीच शुभमन गिल के कंधे पर हाथ रखकर गंभीर ने बढ़ाया हौसला
News India Live, Digital Desk: Indian Cricket Team : मैदान पर खराब फॉर्म से जूझ रहे खिलाड़ी के लिए कोच का साथ किसी संजीवनी से कम नहीं होता. ऐसा ही एक नजारा भारत और इंग्लैंड के बीच चल रही टेस्ट सीरीज के दौरान देखने को मिला, जब युवा बल्लेबाज शुभमन गिल अपने करियर के मुश्किल दौर से गुजर रहे थे. लगातार सस्ते में आउट होने के कारण उन पर टीम से बाहर होने का खतरा मंडरा रहा था, लेकिन तब टीम इंडिया के हेड कोच गौतम गंभीर उनके लिए सबसे बड़ा सहारा बने.
जब दबाव में थे शुभमन गिल
शुभमन गिल ने पिछली कई पारियों में कोई बड़ा स्कोर नहीं बनाया था. इंग्लैंड के खिलाफ पहले दो टेस्ट मैचों में भी उनका बल्ला खामोश रहा. क्रिकेट के गलियारों में यह चर्चा तेज हो गई थी कि क्या तीसरे टेस्ट में उन्हें प्लेइंग इलेवन में जगह मिलेगी. जाहिर है, यह दबाव गिल के चेहरे पर भी साफ नजर आ रहा था.
गंभीर की 'मिड-प्रैक्टिस टॉक' ने खींचा ध्यान
इसी गहमागहमी के बीच, विशाखापत्तनम टेस्ट से पहले एक प्रैक्टिस सेशन का वीडियो वायरल हुआ, जिसने सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया. इस वीडियो में शुभमन गिल नेट्स में अकेले बैठे कुछ सोचते हुए दिखाई दे रहे थे. तभी हेड कोच गौतम गंभीर उनके पास आए, उनके कंधे पर हाथ रखा और उनसे कुछ देर तक अकेले में बात की.
हालांकि उनकी बातचीत साफ सुनाई तो नहीं दी, लेकिन गंभीर के हाव-भाव से यह साफ पता चल रहा था कि वो गिल का हौसला बढ़ा रहे थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गंभीर ने गिल को भरोसा दिलाया कि उन्हें टीम मैनेजमेंट का पूरा सपोर्ट है और उन्हें बिना किसी दबाव के अपना स्वाभाविक खेल खेलने की जरूरत है.
यह सिर्फ एक सामान्य बातचीत नहीं थी, यह एक कोच का अपने खिलाड़ी पर भरोसा जताने का तरीका था. गंभीर ने गिल को समझाया कि फॉर्म आती-जाती रहती है, लेकिन काबिलियत हमेशा साथ रहती है.
कोच के भरोसे का दिखा असर
गौतम गंभीर की इस हौसला अफजाई का असर अगले ही मैच में देखने को मिला. विशाखापत्तनम टेस्ट की दूसरी पारी में जब टीम इंडिया को एक अच्छी पारी की सख्त जरूरत थी, तब शुभमन गिल ने शानदार शतक (104 रन) जड़ा. यह शतक न सिर्फ गिल के आत्मविश्वास के लिए जरूरी था, बल्कि इसने टीम में उनकी जगह को भी पक्का कर दिया.
यह घटना बताती है कि क्रिकेट सिर्फ बल्ले और गेंद का खेल नहीं है, बल्कि यह आत्मविश्वास और मानसिक मजबूती का भी खेल है. और इसमें एक कोच की भूमिका कितनी अहम हो जाती है, यह गौतम गंभीर और शुभमन गिल के इस किस्से से साफ समझा जा सकता है.
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