Indian Cricket : वीरेंद्र सहवाग का बेटा होना आसान नहीं, आर्यवीर ने बताई दिल की बात.

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News India Live, Digital Desk: Indian Cricket :  वीरेंद्र सहवाग, ये नाम सुनते ही ज़हन में चौकों-छक्कों की बरसात और बिंदास अंदाज़ आ जाता है. क्रिकेट के मैदान पर उनका बल्ला जब बोलता था, तो बड़े-बड़े गेंदबाज़ों की हवाइयाँ उड़ जाती थीं. लेकिन वही वीरू पाजी जब घर पर अपने बेटे आर्यवीर सहवाग को क्रिकेट के गुर सिखाते हैं, तो माहौल कैसा होता है? आर्यवीर ने हाल ही में अपने पापा और अपने रिश्ते पर खुलकर बात की है.

दिल्ली प्रीमियर लीग में खेल रहे आर्यवीर ने बताया कि पापा की सलाह उनके लिए कितनी ज़रूरी है. एक बातचीत में उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज़ में कहा, "जब 'फादर साहब' बोलेंगे, तो सुनना तो पड़ेगा." इस एक लाइन से साफ़ हो जाता है कि सहवाग अपने बेटे के लिए एक मेंटॉर की तरह हैं, जिसकी बात को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता.

आर्यवीर मानते हैं कि जैसे-जैसे वो प्रोफेशनल क्रिकेट की दुनिया में कदम रख रहे हैं, उन्हें अपने पिता के कद का और भी ज़्यादा एहसास हो रहा है.वो कहते हैं, “बचपन में तो बस प्लास्टिक के बल्ले से खेलते थे, क्योंकि घर में पापा को खेलते हुए देखते थे. लेकिन अब जब मैं खुद प्रोफेशनल क्रिकेट खेल रहा हूं, तो समझ आ रहा है कि वो कितने महान खिलाड़ी थे.”

अपने पापा के बेखौफ अंदाज़ की तरह ही आर्यवीर भी आक्रामक क्रिकेट खेलने के लिए जाने जाते हैं. दिल्ली की अंडर-19 टीम के लिए खेलते हुए उन्होंने ज़बरदस्त प्रदर्शन किया है ज़ाहिर है, सहवाग की जीन और परवरिश का असर उनके खेल में भी दिखता है.

हालांकि, आर्यवीर अपने पिता की परछाई से निकलकर अपनी पहचान बनाना चाहते हैं, लेकिन वो ये भी जानते हैं कि उनके पिता का अनुभव किसी खजाने से कम नहीं है. वीरेंद्र सहवाग ने भी हमेशा अपने बेटे के सपनों को पूरा सपोर्ट किया है उनका सपना है कि आर्यवीर एक दिन आईपीएल खेले और फिर देश के लिए भी अपना योगदान दे.

यह कहानी सिर्फ़ एक पिता-पुत्र की नहीं है, बल्कि उस विरासत की है जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक जा रही है. एक तरफ वीरेंद्र सहवाग का अनुभव और दूसरी तरफ आर्यवीर का जोश, दोनों मिलकर भारतीय क्रिकेट के लिए एक नई उम्मीद जगा रहे हैं.

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