Indian Air Force : क्या सुरक्षित है जगुआर फाइटर जेट, बाड़मेर हादसे के बाद सामने आए विशेषज्ञों के विचार

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News India Live, Digital Desk: Indian Air Force : राजस्थान के बाड़मेर में भारतीय वायुसेना का एक जगुआर लड़ाकू विमान हाल ही में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिससे पायलटों के साथ कोई गंभीर अनहोनी तो नहीं हुई, लेकिन इस घटना ने जगुआर विमानों की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर चर्चा छेड़ दी है। हालाँकि, विमानन विशेषज्ञ जगुआर को एक बेहद सुरक्षित और विश्वसनीय लड़ाकू जेट मानते हैं, विशेष रूप से इसके "ट्विन-इंजन" (दोहरे इंजन) डिजाइन के कारण।

जगुआर एक बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमान है जिसे जमीन पर हमला करने और जमीनी समर्थन प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह दो शक्तिशाली इंजन से लैस होता है। विमानन विशेषज्ञों का मानना है कि यही दोहरा इंजन जगुआर की सबसे बड़ी सुरक्षा विशेषता है। उनका तर्क है कि यदि उड़ान के दौरान किसी कारणवश एक इंजन फेल हो जाता है, तब भी दूसरा इंजन विमान को सुरक्षित उड़ान भरने या निकटतम हवाई अड्डे पर वापस उतरने में सक्षम बनाता है। यह आपातकालीन स्थितियों में पायलटों को अधिक सुरक्षा प्रदान करता है और दुर्घटना की संभावना को काफी कम कर देता है।

इसके विपरीत, ऐसे लड़ाकू विमान जिनमें केवल एक इंजन होता है, उनमें इंजन फेल होने की स्थिति में दुर्घटना की संभावना बहुत बढ़ जाती है, क्योंकि पायलट के पास फिर आपातकालीन लैंडिंग या इजेक्शन के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता। यही कारण है कि जगुआर को तकनीकी रूप से एक अधिक 'क्षमाशील' विमान माना जाता है, जहाँ एक सिस्टम की विफलता के बावजूद विमान का पूरी तरह से नष्ट होना मुश्किल होता है।

वायुसेना के बेड़े में जगुआर पिछले कई दशकों से सेवा दे रहा है। इसे ब्रिटिश एयरोस्पेस और फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट-ब्रेगेत द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया था। भारतीय वायुसेना में इसका उपयोग मुख्य रूप से स्ट्राइक एयरक्राफ्ट के तौर पर होता है और इसे अक्सर "टाइटैन" या "डेसर्ट हॉक्स" के नाम से भी जाना जाता है।

बाड़मेर में हुई घटना के पीछे के वास्तविक कारणों का पता लगाने के लिए वायुसेना ने उच्च स्तरीय जाँच के आदेश दिए हैं। पायलट सुरक्षित हैं और यह एक अच्छी खबर है, लेकिन घटना के बाद विमानन विशेषज्ञों द्वारा दोहरा इंजन वाली विमानों की सुरक्षा और जगुआर की विश्वसनीयता पर दी गई यह राय निश्चित रूप से इसकी सुरक्षा प्रोटोकॉल को और मजबूत करने की दिशा में एक अहम संकेत है।

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