Income Tax Bill 2025: क्या था यह नया बिल और क्यों किया गया इसका वापस लेना?

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सरकार ने 8 अगस्त 2025 को लोकसभा में पेश किए गए आयकर विधेयक 2025 को वापस ले लिया है। यह विधेयक भारत के पुराने और विख्यात आयकर अधिनियम, 1961 की जगह लेने के लिए लाया गया था ताकि देश के कर ढांचे को सरल, आधुनिक और अधिक करदाताओं के अनुकूल बनाया जा सके।

विधेयक 2025 में क्या था खास?

यह विधेयक लगभग छः दशक पुराने 1961 के अधिनियम को बदलकर आसान भाषा, कम जटिल प्रावधान और डिजिटल प्रक्रिया को बढ़ावा देने का प्रयास था।

करदाताओं और छोटे व्यवसायों के लिए अनुपालन को सरल बनाना इसका एक बड़ा उद्देश्य था।

विधेयक में कर स्लैब या दरों में कोई बड़ा बदलाव नहीं था, बल्कि नियमों और व्याख्या को साफ-सुथरा करना था।

इसमें विवाद समाधान, और कर संग्रहण के लिए डिजिटल एवं फेलेस (बिना आमने-सामने) प्रक्रियाओं को प्राथमिकता दी गई थी।

क्यों वापस लिया गया यह विधेयक?

संसद की 31 सदस्यीय चयन समिति ने इस विधेयक की गहन जांच की और लगभग 285 सुझाव दिए।

इन सुझावों में ड्राफ्टिंग की गलतियों को सुधारना, तकनीकी विसंगतियों को ठीक करना और करदाताओं की सुविधा के लिए नियमों में बदलाव शामिल थे।

सरकार ने कहा कि विधेयक के कई संस्करणों के कारण भ्रम पैदा हो सकता है, इसलिए बेहतर होगा कि एक समेकित संशोधित संस्करण संसद में पेश किया जाए।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में स्पष्ट किया कि संशोधनों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए पुराने विधेयक को वापस लेना जरूरी था।

चयन समिति की प्रमुख सिफारिशें:

लाभकारी स्वामी (beneficial owner) की परिभाषा में संशोधन ताकि शेयरों से लाभ लेने वालों को कर में उचित लाभ मिल सके।

इंटर-कार्पोरेट डिविडेंड पर कटौती की बहाली, जो कि मूल विधेयक में नहीं थी।

नगर पालिका कर कटौती के बाद 30% मानक कटौती को स्पष्ट करने का प्रस्ताव।

किराये की प्री-कंस्ट्रक्शन ब्याज कटौती को सिर्फ स्वयं के उपयोग के लिए नहीं, बल्कि किराये की संपत्तियों के लिए भी बढ़ाने की सिफारिश।

करदाताओं के लिए अनुपालन को आसान बनाने के उपाय जैसे 'निल' टैक्स कटौती प्रमाणपत्र जारी करना, गैर-जानबूझकर गैर-पालन पर दंड कम करना इत्यादि।

गैर-परफॉर्मिंग संपत्तियों (एनपीए) की परिभाषा में स्पष्टता लाना जिससे बैंकिंग और कर विवाद कम हों।

आगे क्या होगा?

सरकार ने कहा है कि 11 अगस्त 2025 को संशोधित आयकर विधेयक संसद में पेश किया जाएगा, जो अधिक स्पष्ट, सरल और करदाताओं के अनुकूल होगा। यह विधेयक नई तकनीक और वैश्विक परिवर्तनों के हिसाब से बेहतर ढंग से तैयार किया जाएगा ताकि टैक्स प्रणाली में अधिक पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित हो सके।

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