Inauspicious Signs : शादी के कार्ड पर दूल्हा-दुल्हन की फोटो ,कहीं यह शौक नए जीवन के लिए अशुभ तो नहीं?
News India Live, Digital Desk: आजकल शादियों में एक नया चलन देखने को मिल रहा है। लोग अपनी शादी के कार्ड को खास बनाने के लिए उस पर अपनी यानी दूल्हा-दुल्हन की तस्वीर छपवा रहे हैं। देखने में यह बहुत सुंदर और मॉडर्न लगता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हमारी परंपराएं और वास्तु शास्त्र इस बारे में क्या कहता है? माना जाता है कि शादी के निमंत्रण पत्र पर दूल्हा-दुल्हन की फोटो लगाना उनके आने वाले जीवन के लिए अच्छा नहीं होता।
आइए जानते हैं इसके पीछे क्या कारण बताए जाते हैं।
1. भगवान का अपमान
शादी के कार्ड की शुरुआत अक्सर किसी देवी-देवता, खासकर भगवान गणेश के चित्र या 'श्री गणेशाय नमः' जैसे शुभ वाक्यों से होती है। ऐसे में, भगवान के चित्र के ठीक नीचे या उसी कार्ड पर दूल्हा-दुल्हन की तस्वीर लगाना एक तरह से ईश्वर का अपमान माना जाता है। हमारी संस्कृति में ईश्वर का स्थान सर्वोच्च है, और उनके बराबर में किसी इंसान की तस्वीर रखना सही नहीं माना जाता।
2. कार्ड का अनादर और 'नजर दोष' का खतरा
अब जरा सोचिए, शादी खत्म होने के बाद उन कार्ड्स का क्या होता है? ज़्यादातर लोग उन्हें या तो फेंक देते हैं, या वो रद्दी में चले जाते हैं। कई बार वो कार्ड पैरों के नीचे भी आते हैं। ऐसी स्थिति में, जिस कार्ड पर भगवान के साथ-साथ आपकी तस्वीर भी छपी हो, उसका अनादर होता है। माना जाता है कि इससे एक तरह का 'दोष' लगता है, जो नए शादीशुदा जोड़े के जीवन में परेशानियां ला सकता है।
इसके अलावा, एक और बड़ा कारण 'नजर दोष' को माना जाता है। शादी का कार्ड हर तरह के लोगों के हाथ में जाता है। कौन आपके बारे में क्या सोचता है, यह आप नहीं जानते। वास्तु शास्त्र और पुरानी मान्यताओं के अनुसार, कार्ड पर छपी दूल्हा-दुल्हन की तस्वीर पर गलत नज़र या बुरी भावना का असर पड़ सकता है, जिससे उनके रिश्ते की शुरुआत में ही नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव पड़ सकता है।
तो फिर क्या करें?
शादी का कार्ड सिर्फ एक निमंत्रण पत्र नहीं होता, यह आपके नए जीवन की शुभ शुरुआत का प्रतीक है। इसे पवित्र और सात्विक रखना बहुत ज़रूरी है। आप फोटो की जगह खूबसूरत डिज़ाइन, शुभ चिह्न जैसे स्वास्तिक, कलश, या मोर पंख का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे आपके कार्ड की सुंदरता भी बनी रहेगी और आप किसी भी तरह के दोष से भी बचे रहेंगे।
फैशन और ट्रेंड अपनी जगह हैं, लेकिन जब बात जिंदगी की नई शुरुआत की हो, तो अपनी परंपराओं और बड़ों की सलाह को नज़रअंदाज़ करना शायद ठीक नहीं।
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