पटना में छात्र आक्रोश: STET की मांग पर भड़के अभ्यर्थी, TRE-4 को बताया छलावा

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बिहार की राजधानी पटना में मंगलवार (5 अगस्त, 2025) को हजारों छात्रों का हुजूम सड़क पर उतर आया। ये छात्र टीचर भर्ती प्रक्रिया, विशेषकर STET (Secondary Teachers Eligibility Test) की परीक्षा कराए जाने और TRE-4 (Teachers Recruitment Examination Phase-4) में पात्रता परीक्षा (Eligibility Test) को 'छलावा' बताने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। पटना विश्वविद्यालय से शुरू होकर यह आंदोलन गांधी मैदान और डाकबंगला चौराहे से होते हुए मुख्यमंत्री आवास तक जाने की ओर अग्रसर था, जिस पर पुलिस प्रशासन ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की।

STET की परीक्षा क्यों, TRE-4 का विरोध क्यों?

छात्रों का मुख्य रोष इस बात पर था कि सरकार STET परीक्षा का आयोजन नहीं करा रही है, जो टीचर बनने की पात्रता के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षा है। वे दावा कर रहे हैं कि सरकार पिछले डेढ़ साल से STET का आयोजन नहीं कर रही है, जिसके कारण लगभग पांच लाख ऐसे छात्र हैं जो योग्य होने के बावजूद परीक्षा से वंचित रह गए हैं। ऐसे में, TRE-4, जो एक बड़े स्तर पर शिक्षक बहाली की प्रक्रिया है, बिना STET परीक्षा के आयोजित होना छात्रों के लिए 'छलावा' साबित हो रहा है। उनका कहना है कि जब तक STET परीक्षा नहीं होगी, तब तक TRE-4 में शामिल होने की पात्रता को कैसे सुनिश्चित किया जा सकता है, और यह भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी कैसे रह सकती है।

"STET नहीं तो TRE-4 कैसा?" - छात्रों का बुलंद नारा

आक्रोशित छात्रों की तख्तियों पर 'STET नहीं तो वोट नहीं', ' our future our right', और 'TRE-4 is a sham' जैसे नारे लिखे हुए थे। वे लगातार मांग कर रहे थे कि STET परीक्षा आयोजित की जाए और TRE-4 से पहले STET का परिणाम जारी हो। एक प्रदर्शनकारी छात्र ने कहा, "सरकार हमलोगों को धोखा दे रही है। दो साल से STET परीक्षा नहीं हुई है, और जो छात्र 2023-24 सेशन के हैं, उन्हें अब तक मौका नहीं मिला। TRE-4 आयोजित करने का क्या मतलब है जब पात्रता परीक्षा ही नहीं ली गई?"

कुछ अन्य छात्रों ने यह भी तर्क दिया कि बिहार में डोमिसाइल नीति लागू कर दी गई है, ऐसे में STET की परीक्षा लेना सरकार के लिए मुश्किल क्यों है? उन्होंने बिहार की शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और समय पर परीक्षाएं कराने की मांग की। इन छात्रों में बीएड (B.Ed) और डीएलएड (D.El.Ed) जैसे कोर्स कर चुके युवा शामिल थे, जिनके भविष्य पर इस देरी का सीधा असर पड़ रहा है।

सरकार की डोमिसाइल नीति और STET का मसला

हाल ही में, बिहार सरकार ने TRE-4 में डोमिसाइल नीति लागू करने की घोषणा की है, जिसके तहत बिहार के मूल निवासी युवाओं को भर्ती में 84.4% आरक्षण मिलेगा। जहां एक ओर इसे स्थानीय युवाओं के लिए एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है, वहीं दूसरी ओर STET परीक्षा के आयोजन में देरी से प्रभावित हो रहे छात्र इस फैसले को भी एक तरह से अपने हित में नहीं देख रहे हैं, खासकर यदि STET परीक्षा आयोजित न हो या उसके परिणाम आने में और देरी हो। उनकी मांग है कि STET परीक्षा कराई जाए ताकि वे TRE-4 में आवेदन करने की अपनी पात्रता सुनिश्चित कर सकें।

विरोध प्रदर्शन और प्रशासन की भूमिका

छात्रों के बढ़ते हुजूम और उग्र प्रदर्शन को देखते हुए पटना में पुलिस-प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। पुलिस ने आंदोलनकारी छात्रों को पटना विश्वविद्यालय के पास रोकने की कोशिश की और बैरिकेडिंग भी लगाई। कुछ छात्र बैरिकेड्स पर चढ़ते हुए भी दिखे, जिसके बाद पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा और लाठीचार्ज की भी खबर है, जिससे कई छात्र घायल हुए। प्रशासन और छात्र प्रतिनिधियों के बीच वार्तालाप जारी थी, जिसमें छात्रों ने अपनी मांगों को मुख्यमंत्री तक पहुंचाने के लिए एक डेलीगेशन भेजने की अपील की।

यह प्रदर्शन बिहार में शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया में पारदर्शिता, समयबद्धता और योग्य उम्मीदवारों को समान अवसर मिलने के अधिकार का प्रतीक बन गया है। सरकार के रुख और छात्रों की मांगों के बीच यह टकराव राज्य की शिक्षा व्यवस्था के भविष्य पर महत्वपूर्ण प्रश्नचिह्न लगा रहा है।

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