छत्तीसगढ़ में जमीन की रजिस्ट्री महंगी, सियासत हाई वॉल्टेज गाइडलाइन रेट बढ़ने से घर का सपना हुआ दूर?

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News India Live, Digital Desk : एक आम आदमी जिंदगी भर पाई-पाई क्यों जोड़ता है? ताकि अपने सर पर एक छत हो सके। 'रोटी, कपड़ा और मकान' में मकान ही वो सपना है जो आज के दौर में सबसे महंगा है। लेकिन अगर आप Chhattisgarh में, और खासकर राजधानी रायपुर (Raipur) या बिलासपुर में घर बनाने की सोच रहे हैं, तो यह खबर आपको थोड़ा परेशान कर सकती है।

राज्य सरकार ने जमीनों की सरकारी कीमत यानी गाइडलाइन रेट (Guideline Rate) में बढ़ोतरी कर दी है। इसका सीधा मतलब है कि अब जमीन की रजिस्ट्री कराना महंगा पड़ेगा। बस फिर क्या था, इस फैसले ने प्रदेश के सियासी पारे को ठंड में भी गर्म कर दिया है।

आइए, आसान भाषा में समझते हैं कि आखिर मामला क्या है और क्यों विपक्ष (कांग्रेस) सरकार (बीजेपी) पर हमलावर है।

फैसला क्या है और असर क्या होगा?

राज्य सरकार ने फैसला लिया है कि प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में जमीन की गाइडलाइन दरों में बढ़ोतरी की जाएगी। इसका असर ये होगा कि:

  1. रजिस्ट्री महंगी: अब आपको प्लॉट या मकान की रजिस्ट्री कराने के लिए ज्यादा स्टाम्प ड्यूटी (Stamp Duty) देनी पड़ेगी।
  2. घर का बजट बिगड़ेगा: मिडिल क्लास परिवार, जिनका बजट पहले से ही टाइट है, उनके लिए कुछ लाख रुपये ऊपर देना मुश्किल हो जाएगा।
  3. किराया और फ्लैट के दाम: इसका असर सिर्फ प्लॉट पर नहीं, बल्कि बने-बनाए फ्लैट्स और दुकान के किराये पर भी पड़ सकता है।

सियासत क्यों गरमाई? (BJP vs Congress)

जैसे ही यह आदेश आया, मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस (Congress) ने इसे जनता पर "अतिरिक्त बोझ" बताकर सरकार को घेर लिया।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) और कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने मोर्चा खोल दिया है। विपक्ष का कहना है कि:

  • "महंगाई पहले से कमर तोड़ रही है, अब सरकार रजिस्ट्री महंगी करके आम आदमी का खून चूस रही है।"
  • "विष्णु देव साय (Vishnu Deo Sai) की सरकार में घर खरीदना अब सपना बनकर रह जाएगा।"

विपक्ष इसे आने वाले निकाय चुनावों में बड़ा मुद्दा बनाने की फिराक में है।

सरकार का क्या तर्क है?

दूसरी तरफ, बीजेपी (BJP) सरकार का अपना तर्क है। उनका कहना है कि:

  1. सालों बाद हुई बढ़ोतरी: कई इलाकों में जमीनों के बाजार भाव (Market Rate) बहुत बढ़ गए थे, लेकिन सरकारी दरें (गाइडलाइन) बहुत पुरानी थीं। इसे बराबर करने के लिए यह फैसला ज़रूरी था।
  2. राजस्व (Revenue): सरकार को विकास कार्यों के लिए फंड चाहिए, और रजिस्ट्रेशन विभाग कमाई का एक बड़ा जरिया है।

प्रॉपर्टी डीलर और आम जनता की चिंता

सियासी लड़ाई अपनी जगह है, लेकिन असली चिंता रियल एस्टेट सेक्टर (Real Estate Sector) में है। प्रॉपर्टी डीलर्स का कहना है कि मंदी के दौर में अगर रजिस्ट्री महंगी हुई, तो लोग जमीन खरीदना टाल देंगे, जिससे धंधा चौपट हो सकता है।

वहीं, आम आदमी अब कैलकुलेटर लेकर बैठा है कि आखिर उसे अब अपनी जेब कितनी और ढीली करनी पड़ेगी।

मेरी राय: सरकार को राजस्व की ज़रूरत है, यह बात सही है। लेकिन यह भी सच है कि रोटी और कपड़ा तो किसी तरह मैनेज हो जाता है, लेकिन अगर 'मकान' भी पहुँच से बाहर हो गया, तो मध्यम वर्गीय परिवार कहां जाएगा?

अब देखना दिलचस्प होगा कि विपक्ष के इस दबाव के आगे क्या सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करती है या नहीं।

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