Important decision of Chhattisgarh High Court: पति पर नपुंसकता का झूठा आरोप क्रूरता तलाक का आधार बनेगा

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News India Live, Digital Desk: Important decision of Chhattisgarh High Court:  छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने पारिवारिक संबंधों से जुड़ा एक बेहद महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि कोई पत्नी अपने पति पर 'नपुंसक' होने के झूठे और बेबुनियाद आरोप लगाती है, तो यह पति के प्रति एक क्रूरता मानी जाएगी। इस तरह की क्रूरता को पति के लिए पत्नी से तलाक लेने का वैध आधार माना जाएगा। यह फैसला जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस राकेश मोहन पांडे की डिविजन बेंच ने दिया, जहाँ पति द्वारा दाखिल तलाक की अर्जी पर सुनवाई की गई।

यह मामला तब सामने आया जब एक पति ने अपनी पत्नी से तलाक की मांग करते हुए कोर्ट में याचिका दायर की। पति ने दलील दी कि उसकी शादी को दो साल हुए ही थे, जब उसकी पत्नी ने उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। हद तो तब हो गई जब पत्नी ने पति को अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और परिवार के अन्य सदस्यों के सामने "नपुंसक" बताना शुरू कर दिया। पति ने बताया कि पत्नी द्वारा लगाए गए ये आरोप पूरी तरह से झूठे थे, और उनका मकसद केवल उसे अपमानित करना और उसकी छवि खराब करना था। पत्नी के इन झूठे आरोपों के चलते पति को गंभीर मानसिक तनाव से गुज़रना पड़ा और उसे समाज में भी शर्मिंदगी झेलनी पड़ी। इस मानसिक उत्पीड़न के कारण उनका वैवाहिक संबंध पूरी तरह से टूट गया था।

इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने पति की तलाक याचिका को खारिज कर दिया था। हालांकि, हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के इस फैसले को पलट दिया। उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में जोर देकर कहा कि बिना किसी मेडिकल प्रमाण के पति पर इस तरह के गंभीर और सार्वजनिक आरोप लगाना उसकी गरिमा और प्रतिष्ठा पर सीधा हमला है। यह मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है, क्योंकि ऐसे आरोप एक व्यक्ति के वैवाहिक जीवन के साथ-साथ सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन को भी बर्बाद कर सकते हैं। कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि यह निस्संदेह मानसिक क्रूरता है।

यह फैसला पति-पत्नी के संबंधों में आपसी सम्मान और trust की अहमियत को रेखांकित करता है। यह ऐसे मामलों में पुरुषों को भी न्याय दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है जहाँ उन्हें झूठे आरोपों के चलते मानसिक और सामाजिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।

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