Importance of Swastik in Vastu: घर के द्वार पर सही दिशा में बनाएं, दूर होंगे वास्तु दोष
- by Archana
- 2025-08-06 11:27:00
News India Live, Digital Desk: Importance of Swastik in Vastu: स्वास्तिक चिन्ह हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र और मंगलकारी माना जाता है। यह चिन्ह सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और नकारात्मकता को दूर भगाता है। घर में वास्तु दोष को दूर करने और सौभाग्य लाने के लिए स्वास्तिक चिन्ह का प्रयोग एक अत्यंत प्रभावी उपाय है। इस चिन्ह को सही दिशा में और सही विधि से बनाना महत्वपूर्ण है।
स्वास्तिक बनाने के मुख्य नियम:
दिशा: वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के प्रवेश द्वार पर स्वास्तिक बनाना अत्यंत शुभ माना जाता है। विशेषकर उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) दिशा में बनाया गया स्वास्तिक शुभ फल देता है। इन दिशाओं से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है, जिसे स्वास्तिक और बढ़ाता है।
सामग्री: स्वास्तिक बनाने के लिए सिन्दूर, हल्दी, कुमकुम या अष्टगंध का प्रयोग करना शुभ होता है। यह भी ध्यान रखें कि स्वास्तिक की रेखाएं बाहर की ओर निकली हुई न हों, बल्कि सीधी हों।
निशान: स्वास्तिक बनाते समय चार रेखाएं बनाते हैं, जो पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण दिशाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं। इन रेखाओं का घर के चार कोनों में प्रतिनिधित्व होता है। इसके मध्य में एक बिंदु लगाया जाता है।
प्रकार: स्वास्तिक दो प्रकार का होता है - ऋजु सूत्र (सीधा) और कुटिल सूत्र (टेढ़ा)। सीधा स्वास्तिक सौभाग्य और सकारात्मकता लाता है, जबकि कुटिल सूत्र वाले स्वास्तिक को शुभ नहीं माना जाता। अतः घर में हमेशा सीधा स्वास्तिक ही बनाएं।
अन्य स्थान: मुख्य द्वार के अलावा, पूजा घर में, अलमारी के ऊपर या लॉकर पर भी स्वास्तिक चिन्ह बनाया जा सकता है। घर की दीवारों पर, विशेष रूप से मुख्य द्वार पर, लाल सिन्दूर से बनाया गया स्वास्तिक सुख-समृद्धि और सुरक्षा लाता है।
गलत प्रयोग से बचें: स्वास्तिक को ऐसी जगह नहीं बनाना चाहिए जहां वह अपवित्र हो या उस पर पैर पड़े। नाभि के नीचे या अनैतिक स्थानों पर इसका निर्माण नहीं करना चाहिए।
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