Importance of Shiva worship: जब श्री राम को रावण हत्या के पाप से निवृत करने के लिए करना पड़ा भोलेनाथ का पूजन

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News India Live, Digital Desk: Importance of Shiva worship:  भगवान विष्णु के अवतार, मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने जब लंकापति रावण का वध किया, तो वे परम ब्राह्मण और ज्ञानी थे। रावण का वध करने से भगवान राम पर ब्रह्महत्या का महापाप लगा, जो एक घोर अनिष्ट माना जाता है। इस महापाप के निवारण के लिए भगवान राम ने भगवान शिव की घोर तपस्या की। इस कथा का विस्तृत वर्णन रामायण और अनेक पौराणिक ग्रंथों में मिलता है।

शास्त्रों के अनुसार, रावण एक महान ज्ञानी, शिव भक्त और ब्राह्मण थे। इसलिए, ऐसे पूज्यनीय का वध करने से स्वयं भगवान राम भी इस दोष से अछूते नहीं रहे। ब्रह्महत्या के दोष से मुक्ति पाने के लिए उन्होंने एक विशिष्ट अनुष्ठान किया, जिसके अंतर्गत भगवान शिव की आराधना का विधान था।

भगवान राम ने सर्वप्रथम समुद्र तट पर ही स्वयं मिट्टी के शिवलिंग बनाकर भगवान शिव की पूजा की। यह स्थान आज 'रामेश्वरम' के नाम से विख्यात है। जब श्री राम को भगवान शिव के दर्शन नहीं हुए, तब उन्होंने शिवजी का आह्वान किया और कहा कि वे ब्राह्मणहत्या के पातक से स्वयं को मुक्त करने के लिए शिवलिंग की स्थापना करना चाहते हैं। यह सुनकर शिवजी अत्यंत प्रसन्न हुए। शिवजी ने प्रभु राम को वरदान दिया कि जो कोई भी उनके द्वारा स्थापित इस शिवलिंग का विधिवत पूजन करेगा, उसे ब्रह्महत्या सहित समस्त पापों से मुक्ति मिलेगी।

कुछ कथाओं के अनुसार, श्री राम ने हनुमानजी को कैलाश पर्वत से एक शिवलिंग लाने की आज्ञा दी थी। जब हनुमानजी लिंग लेकर लौटे, तो श्री राम अपनी पूजा का मुहूर्त निकल जाने के भय से स्वयं के द्वारा निर्मित मिट्टी के शिवलिंग की स्थापना कर चुके थे। इस पर हनुमानजी को कष्ट हुआ, जिसे देखकर श्री राम ने हनुमानजी को भी एक लिंग स्थापित करने का वरदान दिया और कहा कि उनकी पूजा के पश्चात् हनुमानजी द्वारा लाए गए लिंग का भी पूजन किया जाएगा, और जो भक्त पहले उनके (राम द्वारा स्थापित) लिंग का और फिर हनुमानजी द्वारा लाए गए लिंग का पूजन करेगा, उसे विशेष पुण्य की प्राप्ति होगी।

इसके अलावा, रावण वध के पश्चात् भगवान राम ने कई स्थानों पर शिवजी की आराधना कर ब्रह्महत्या के दोष का प्रायश्चित किया, जिसमें काशी और प्रयाग जैसे पावन स्थल भी शामिल माने जाते हैं। इन अनुष्ठानों के माध्यम से भगवान राम ने न केवल स्वयं को पाप मुक्त किया, बल्कि समस्त संसार के लिए यह संदेश भी दिया कि सच्ची भक्ति और प्रायश्चित से बड़े से बड़े पाप का भी निवारण संभव है।

श्रीराम द्वारा शिव आराधना के लिए 4 मुख्य बिंदु

कारण: रावण वध के कारण लगा ब्रह्महत्या का महापाप।
समर्पित: स्वयं के द्वारा निर्मित मिट्टी के शिवलिंग की स्थापना।
स्थान: रामेश्वरम (प्रथम), बाद में हनुमान द्वारा लाए गए लिंग का भी महत्व।
उद्देश्य: पाप से मुक्ति, शिवजी की कृपा और भक्ति का प्रदर्शन।

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