IAS Monika Rani Story:स्कूल में पढ़ी, उसी विभाग की बॉस बनकर लौटीं IAS मोनिका रानी

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IAS Monika Rani Profile: "मैं वापस आऊंगी, और यहीं तुम्हारी बॉस बनकर आऊंगी." - ये किसी फ़िल्म का डायलॉग नहीं, बल्कि एक असली आईएएस अफ़सर की ज़िंदगी की कहानी है. यह कहानी है आईएएस मोनिका रानी की, जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से यह साबित कर दिया है कि अगर इरादे पक्के हों, तो इंसान कुछ भी हासिल कर सकता है. हाल ही में उन्हें उत्तर प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग का नया डायरेक्टर जनरल बनाया गया है.

यह पद उनके लिए सिर्फ़ एक सरकारी पोस्टिंग नहीं है, बल्कि एक भावुक लम्हा भी है. आज वो जिस विभाग की सबसे बड़ी अफ़सर बनी हैं, कभी वो ख़ुद उसी विभाग के एक सरकारी स्कूल में पढ़ा करती थीं.

कौन हैं ये दबंग अफ़सर?

मोनिका रानी दिल्ली की रहने वाली हैं और 2010 बैच की यूपी कैडर की आईएएस अफ़सर हैं. लेकिन अफ़सर बनने से पहले, उनका बचपन काफ़ी साधारण माहौल में गुज़रा. उनकी शुरुआती पढ़ाई यूपी के ही एक सरकारी स्कूल से हुई थी. शायद उसी वक़्त उन्होंने देख लिया था कि सरकारी सिस्टम में रहकर भी कितना कुछ बदला जा सकता है.

सिविल सेवा परीक्षा पास करने के बाद, उन्होंने अपनी ईमानदारी और काम के प्रति जुनून से हर जगह एक अलग पहचान बनाई. वह चित्रकूट, फर्रुखाबाद, और बहराइच जैसी जगहों पर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (DM) रह चुकी हैं. हर जगह लोग उन्हें एक ऐसे अफ़सर के तौर पर जानते हैं जो सिर्फ़ एसी कमरों में बैठकर फ़ाइलें साइन नहीं करते, बल्कि ज़मीन पर उतरकर काम करते हैं. चित्रकूट में डीएम रहते हुए, जब एक फ़ोन कॉल पर उन्हें अस्पताल में मरीज़ों के साथ बदसलूकी की ख़बर मिली, तो वो बिना किसी को बताए आधी रात में ही अस्पताल पहुंच गईं. वहां की सच्चाई देखकर उन्होंने तुरंत एक्शन लिया और सिस्टम को हिलाकर रख दिया.

क्यों ख़ास है उनकी नई ज़िम्मेदारी?

अब उन्हें उत्तर प्रदेश की स्कूली शिक्षा को सँवारने की ज़िम्मेदारी मिली है. यह उनके लिए एक चक्र के पूरा होने जैसा है. जो लड़की कभी एक छोटे से सरकारी स्कूल की बेंच पर बैठकर पढ़ती थी, आज उसी राज्य के लाखों बच्चों की शिक्षा की ज़िम्मेदार है. उनका अनुभव सिर्फ़ किताबी नहीं है, उन्होंने उस सिस्टम को अंदर से जिया है, उसकी कमियों और ख़ूबियों, दोनों को क़रीब से देखा है.

उनकी कहानी हर उस लड़की और हर उस छात्र के लिए एक मिसाल है जो यह सोचते हैं कि सरकारी स्कूल में पढ़कर बड़े सपने पूरे नहीं किए जा सकते. मोनिका रानी इस बात का जीता-जागता सबूत हैं कि आप कहाँ से आते हैं, यह मायने नहीं रखता. मायने यह रखता है कि आप कहाँ पहुंचना चाहते हैं.

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