Humanity shamed in Uttar Pradesh: दोस्त की मदद करने वाली युवती पर लगा काला जादू का आरोप परिवार संग हुई बर्बरता

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News India Live, Digital Desk: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में एक ऐसा चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां दोस्ती की आड़ में न केवल विश्वास को तार-तार किया गया, बल्कि एक युवती और उसके परिवार का जीवन भी अंधविश्वास के नाम पर नरक बना दिया गया। यह घटना सामाजिक मर्यादाओं और आपसी सौहार्द पर कई सवाल खड़े करती है, जब एक दोस्त ने ही अपने मददगार को बेरहमी से धोखा दिया।

दरअसल, मामला तब शुरू हुआ जब एक युवती (अपरना, बदल दिया गया नाम) ने अपनी सहेली (प्रिया, बदल दिया गया नाम) को उसके गर्भपात कराने में मदद की। एक मुश्किल घड़ी में यह मानवीय मदद की मिसाल थी, लेकिन दुर्भाग्य से बाद में यही मदद अपरना के लिए जिंदगी का सबसे बड़ा अभिशाप बन गई। कुछ समय बाद, जब प्रिया का कथित रूप से गर्भपात हो गया, तो उसने अपने परिवार के साथ मिलकर एक घिनौनी साजिश रच डाली। प्रिया और उसके परिजनों ने झूठा आरोप लगाया कि अपरना ने काला जादू और तंत्र-मंत्र करके उनके अजन्मे बच्चे का गर्भपात करा दिया।

यह आरोप झूठा और आधारहीन था, लेकिन इसके बाद जो कुछ हुआ, वह बेहद क्रूर और अमानवीय था। प्रिया और उसके परिवार ने गांव के अन्य लोगों को भी अपरना के खिलाफ भड़काना शुरू कर दिया, जिससे धीरे-धीरे उस परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया। स्थिति इतनी भयावह हो गई कि भीड़ द्वारा अपरना और उसके परिवार के साथ लगातार मारपीट की जाने लगी, जिससे उनकी जान का खतरा भी उत्पन्न हो गया। अपरना को न केवल शारीरिक हिंसा झेलनी पड़ी, बल्कि उसे मानसिक यातना भी दी गई।

अंधविश्वास के इस तांडव और हिंसक उत्पीड़न से तंग आकर, जब उनकी जिंदगी नरक जैसी लगने लगी, तो अपरना और उसके परिवार ने आखिरकार स्थानीय पुलिस का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने अपनी आपबीती सुनाई और मामले में न्याय की गुहार लगाई। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल जांच शुरू कर दी है। पुलिस इस मामले में आरोपी महिला (प्रिया) और उसके परिजनों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई कर रही है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि किसी और को ऐसे भयावह परिस्थितियों से न गुजरना पड़े और न्याय का साथ मिल सके।

यह घटना दिखाती है कि कैसे कुछ लोग अंधविश्वास और झूठे आरोपों का सहारा लेकर किसी के जीवन को पूरी तरह से तबाह कर सकते हैं, और कैसे दोस्ती के सबसे पवित्र रिश्ते में भी विश्वासघात की गुंजाइश बन सकती है। ऐसे मामलों में कानूनी हस्तक्षेप ही एकमात्र रास्ता बचता है, जिससे न्याय सुनिश्चित हो सके।

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