दोस्त से दुश्मन कैसे बन गए पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान? झगड़े की जड़ में है 130 साल पुरानी एक लाइन

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कल तक जो पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की वापसी पर जश्न मना रहा था, आज वही पाकिस्तान तालिबान पर बम बरसा रहा है। दोनों देश जो कभी "भाई-भाई" होने का दावा करते थे, आज एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए हैं। सीमा पर ज़बरदस्त गोलीबारी हो रही है, सैनिक मारे जा रहे हैं और माहौल जंग जैसा बन गया है।

आख़िर, ऐसा क्या हुआ कि दोस्ती, दुश्मनी की इस आग में बदल गई? चलिए, इस पूरी कहानी को आसान भाषा में समझते हैं।

1. झगड़े की असली जड़: 'डूरंड लाइन'

इस पूरे फसाद की सबसे बड़ी और पुरानी वजह है एक लाइन, जिसे 'डूरंड लाइन' कहते हैं। 1893 में अंग्रेज़ों ने भारत (जिसमें तब पाकिस्तान भी था) और अफ़ग़ानिस्तान के बीच यह 2600 किलोमीटर लंबी सीमा खींची थी। पाकिस्तान तो इसे अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर मानता है, लेकिन अफ़ग़ानिस्तान ने आज तक इस लाइन को कभी दिल से स्वीकार नहीं किया। उनका मानना है कि इस लाइन ने उनके कई पश्तून इलाकों और परिवारों को दो हिस्सों में बांट दिया। तालिबान के आने के बाद यह मुद्दा और भी ज़्यादा गरमा गया है।

2. नया सिरदर्द: TTP यानी 'पाकिस्तानी तालिबान'

जब तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान पर क़ब्ज़ा किया, तो पाकिस्तान बहुत ख़ुश हुआ था। उसे लगा कि अब उसका दोस्त सत्ता में आ गया हैऔर वह 'पाकिस्तानी तालिबान' यानी TTP (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) को क़ाबू में कर लेगा। TTP वो आतंकी संगठन है जो पाकिस्तान में हज़ारों बेगुनाहों की मौत का ज़िम्मेदार है।

लेकिन हुआ ठीक इसका उल्टा! अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के आते ही TTP और भी ज़्यादा ताक़तवर और बेखौफ हो गया। पाकिस्तान का आरोप है कि TTP के आतंकी अफ़ग़ानिस्तान की ज़मीन पर बैठकर पाकिस्तान में हमले की योजना बनाते हैं और तालिबान उन्हें पनाह देता है। जबकि तालिबान इस बात से साफ़ इनकार करता है।

3. तात्कालिक कारण: पाकिस्तान का हवाई हमला

पाकिस्तान जब TTP के हमलों से तंग आ गया, तो उसने एक ऐसा क़दम उठाया जिसने आग में घी डालने का काम किया। उसने अफ़ग़ानिस्तान की सीमा के अंदर घुसकर हवाई हमले कर दिए। यह बात तालिबान को अपनी बेइज़्ज़ती लगी। उसने इसे अपनी ज़मीन पर हमला माना और बदला लेने की ठान ली।

बस यहीं से बात बिगड़ गई। तालिबान ने भी पलटवार करते हुए सीमा पर पाकिस्तानी चौकियों पर ज़बरदस्त हमला कर दिया और कई सैनिकों को मारने का दावा किया।

कहने को तो ये दो अलग-अलग देश हैं, लेकिन इनकी कहानी और रिश्ते बहुत उलझे हुए हैं। एक पुरानी ज़ख़्म है सरहद का, और एक नया नासूर है आतंकवाद का। जब तक ये दोनों मसले नहीं सुलझते, तब तक इस आग के शांत होने की उम्मीद बहुत कम है।

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